उद्योगपति अनिल अंबानी के बेटे अंशुल सतोपंथ ट्रैकिंग से लौटे वापस, बोले- यहां बिताया समय सुकून देने वाला
श के जाने माने उद्योगपति अनिल अंबानी के पुत्र जय अंशुल अंबानी ने साथियों के साथ प्रसिद्ध सतोपंथ ट्रैक की यात्रा पूरी की है। वह दो दिनों तक अपने दोस्तों के साथ इस ट्रैक पर रहे। जय ने कहा कि सतोपंथ में बिताया गया समय सुकून देने वाला रहा।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर(चमोली)। कोरोना महामारी के चलते पटरी से उतरा ट्रैकिंग रूट का पर्यटन व्यवसाय अब धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगा है। देश के जाने माने उद्योगपति अनिल अंबानी के पुत्र जय अंशुल अंबानी ने साथियों के साथ प्रसिद्ध सतोपंथ ट्रैक की यात्रा पूरी की है। वह दो दिनों तक अपने दोस्तों के साथ इस ट्रैक पर रहे। जय ने कहा कि सतोपंथ में बिताया गया समय सुकून देने वाला रहा।
श्री बदरीनाथ धाम में ट्रैकिंग कर रहे एस्किमो एडवेंचर के प्रबंधक दिनेश उनियाल ने बताया कि जय अंशुल अंबानी पांच दिन पहले 25 सदस्यीय दल के साथ सतोपंथ की ट्रैकिंग पर गए थे। बताया कि दो दिन उन्होंने इस ट्रैकिंग रूट पर बिताया। सतोपंथ में एक दिन कैंप कर रात भी गुजारी। बताया कि सतोपंथ ट्रैकिंग पर सामान्यत: छह दिन लगते हैं, लेकिन अंशुल और उनके साथियों ने इस दूरी को चार दिन में ही तय कर दिया।
उनका कहना है कि देश के उद्योगपति के पुत्र के इस ट्रैकिंग रूट पर आने से एक बार फिर से यहां का ट्रैकिंग व्यवसाय चमकने की उम्मीद है। उनियाल ने कहा कि पिछले दो सालों से कोरोना महामारी के चलते यहां का ट्रैकिंग व्यवसाय भी चौपट हो गया था। लगातार ट्रैकरों की आवाजाही के बाद अब यहां का ट्रैकिंग व्यवसाय पटरी पर आ रहा है।
विलुप्त हो रही भारतीय संस्कृति
आर्य समाज कोटद्वार के तत्वावधान में परिवार मिलन समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजस्थान से आए आचार्य ओमदेव ने यज्ञ कराकर राष्ट्र की खुशहाली की कामना की। रविवार को आर्य समाज कोटद्वार के सत्संग भवन में आयोजित परिवार मिलन कार्यक्रम में राजस्थान के अजमेर से पधारे आचार्य ओमदेव ने भारतीय संस्कृति के विलुप्त होने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि संस्कृति से ही हमारी पहचान होती है। संस्कृति से ही देश, जाति, या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है। जिनके सहारे वह अपने आदर्श, जीवन मूल्यों आदि का निर्धारण करता है। यह हमें जीवन का अर्थ, जीवन जीने का तरीका सिखाती है।
उन्होंने कहा कि मनुष्य ही संस्कृति का निर्माता है और संस्कृति ही मानव को मानव बनाती है। वर्तमान में भारतीय संस्कृति अपने मूल लक्ष्य से भटक गई है। अब हालात ऐसे हैं कि संस्कृति के विषय पर विस्तारपूर्वक चर्चा करने की आवश्यकता है, जिससे पुन: भारतीय संस्कृति को प्राचीन अवस्था में लाकर उसका अस्तित्व बचाया जा सके। कार्यक्रम में आर्य समाज के पुरोहित रामवीर गौड़, महेंद्र सैनी, देवकी, आनंद, महेश वर्मा, अनिल अग्रवाल, प्रभुदयाल, अनिल, शशि सिंघल, मीना अग्रवाल, अजय ग्रोवर, मन्नू ग्रोवर, हिमांशु आदि मौजूद रहे।