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Chardham Yatra: बदरीनाथ में अलकनंदा ओढ़े हुए है हिमखंडों का आवरण, अद्भुत नजारों के होंगे दीदार

चारधाम यात्रा के दौरान यात्रा के दौरान यात्री बदरीनाथ धाम से हनुमानचट्टी तक अलकनंदा नदी ने भारी-भरकम हिमखंडों के नजारों का लुत्फ उठा सकेंगे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 02:27 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 08:26 PM (IST)
Chardham Yatra: बदरीनाथ में अलकनंदा ओढ़े हुए है हिमखंडों का आवरण, अद्भुत नजारों के होंगे दीदार
Chardham Yatra: बदरीनाथ में अलकनंदा ओढ़े हुए है हिमखंडों का आवरण, अद्भुत नजारों के होंगे दीदार

गोपेश्वर, देवेंद्र रावत। मैदानी क्षेत्रों में लोग जहां गर्मी से बेहाल हैं, वहीं उत्तराखंड के सीमांत चमोली जिले में इन दिनों मौसम खुशगवार बना हुआ है। ऐसे में दस मई से शुरू हो रही भू-वैकुंठ बदरीनाथ धाम की यात्रा के दौरान यात्रियों को प्रकृति के अद्भुत नजारे देखने को मिलेंगे। खासकर हिमखंडों के नीचे से कल-कल बह रही अलकनंदा नदी इन दिनों सम्मोहन-सा बिखेरती नजर आ रही है। बदरीनाथ धाम से हनुमानचट्टी तक अलकनंदा नदी ने भारी-भरकम हिमखंडों का आवरण ओढ़ा हुआ है। 

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बदरीनाथ धाम से 22 किमी आगे समुद्रतल से लगभग 17 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित अलकापुरी के सतोपंथ ग्लेशियर से निकलने वाली अलकनंदा नदी इन दिनों बदरीनाथ धाम से हनुमानचट्टी तक हिमखंडों के नीचे से होकर बह रही है। शीतकाल के दौरान हुई भारी बर्फबारी के कारण अलकनंदा नदी केऊपर बड़े-बड़े हिमखंड बन गए थे, जो अभी भी मौजूद हैं। दरअसल हनुमानचट्टी से आगे अलकनंदा नदी के किनारे से होकर ही बदरीनाथ हाइवे गुजरता है। 

ऐसे में हिमखंडों के नीचे से गुजर रही अलकनंदा का यह नजारा न केवल यात्रियों को अपनी ओर खींचेगा, बल्कि उनकी यात्रा को यादगार भी बनाएगा। उम्मीद की जा रही कि मई के आखिर तक यात्री अलकनंदा के इस रूप का दीदार कर सकेंगे।

हिमखंडों के पिघलने से खतरा भी

यात्रा के दौरान प्रकृति के इन अद्भुत नजारों को कैमरे में कैद करने या इनके साथ सेल्फी लेने की तमन्ना हर यात्री संजोए होता है। हिमखंडों के अंदर से गुजर रही अलकनंदा नदी स्थान-स्थान पर ऐसा अहसास कराती है, मानो यहीं से उसका उद्गम हो रहा है। लेकिन, बेहतर यही होगा कि यात्री हिमखंडों के नजदीक जाने से परहेज करें।

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ. हरीश गौड़ के अनुसार हिमखंड तेजी से पिघल रहे हैं, जिससे ये नीचे से खोखले हो गए हैं। ऐसे में अगर कोई यात्री इनके ऊपर या नजदीक जाता है तो फिसलने से या हिमखंड टूटने से अनहोनी का अंदेशा बना रहता है। लिहाजा दूर से ही इनका दीदार करें और तस्वीर उतारें।

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