Hemkund Sahib Yatra:शीतकाल के लिए बंद हुए हेमकुंड व लोकपाल के कपाट, दोनों धाम में 10300 श्रद्धालुओं ने टेका मत्था
Hemkund Sahib Yatra श्री हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट रविवार दोपहर 130 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस वर्ष इन दोनों धाम में 10300 श्रद्धालुओं ने मत्था टेका जबकि कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा महज 23 दिन चली।
संवाद सहयोगी, जोशीमठ (चमोली)। Hemkund Sahib Yatra श्री हेमकुंड साहिब व लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट रविवार दोपहर 1:30 बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। इस वर्ष इन दोनों धाम में 10300 श्रद्धालुओं ने मत्था टेका, जबकि कोरोना संक्रमण के चलते यात्रा महज 23 दिन चली। कपाटबंदी के मौके पर गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब को तीन क्विंटल गेंदा व गुलाब के फूलों से सजाया गया था।
समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित धाम में कपाट बंद करने की प्रक्रिया सुबह दस बजे सुखमणि साहिब के पाठ से शुरू हुई। श्री गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सरदार सेवा सिंह ने बताया कि सुबह 11:15 बजे से सबद-कीर्तन शुरू हुए और दोपहर 12:30 बजे मुख्य ग्रंथी मिलाप सिंह ने इस वर्ष की अंतिम अरदास लगाई।
हुकमनामा लेने के बाद दोपहर एक बजे 418-स्वतंत्र इंजीनियरिंग कोर की बैंड की धुन के बीच उप ग्रंथी कुलवंत सिंह पंज प्यारों की अगुआई में गुरु ग्रंथ साहिब को लेकर सचखंड साहिब के गर्भगृह पहुंचे। बैंड का नेतृत्व मेजर गुरप्रीत सिंह कर रहे थे। दोपहर ठीक 1:30 बजे गुरुद्वारा के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।
जबकि, गुरुद्वारा परिसर में ही स्थित लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रिया दोपहर 12 बजे शुरू हुई। पुजारी कुशल सिंह के पूजा-अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं ने लोकपाल के दर्शन किए। ठीक 1:30 बजे लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इस मौके पर सरदार जनक सिंह (दिल्ली), रविंदर सिंह (लखनऊ) व राणा इंद्रप्रताप सिंह समेत 2200 से अधिक मौजूद रहे। श्री हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के उपाध्यक्ष सरदार नरेंद्रजीत सिंह बिंद्रा ने बताया कि इस वर्ष 18 सितंबर से धाम के कपाट खोले गए थे। बावजूद इसके आशातीत यात्री दर्शनों को पहुंचे।
समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है हेमकुंड
हेमकुंड साहिब और लोकपाल लक्ष्मण मंदिर समुद्रतल से 15225 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। ये सिखों और हिंदुओं की आस्था का केंद्र हैं। हेमकुंड की यात्रा रोमांच से भरी होती है। इतना ही नहीं इसके आसपास कई और खूबसूरत पर्यटन स्थल भी, जो लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते हैं।
जानिए कब हुई थी खोज
कहा जाता है हेमकुंड साहिब की खोज 1934 में हुई थी। क्षेत्र के इतिहासकार और पर्यटक विशेषज्ञ पूर्व मंत्री केदार सिंह फोनिया की डिवाइन हेरिटेज ऑफ हेमकुंड साहिब एंड वर्ल्ड हेरिटेज ऑफ वैली ऑफ फ्लावर किताब की मानें तो 1930 के दशक में पत्रकार तारा सिंह नरोत्तम बदरीनाथ यात्रा पर आए थे। उन्होंने पांडुकेश्वर से यहां जाकर इसकी खोज की और अपने लेखों के माध्यम से पंजाब के निवासियों को हेमकुंड साहिब को लेकर जानकारी दी।
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