हेलंग-मारवाड़ी बाईपास को बनाया जाएगा वनवे
हेलंग से मारवाड़ी तक प्रस्तावित बाईपास निर्माण में जोशीमठ के लोगों के विरोध के बाद बीआरओ ने समाधान के लिए वनवे ट्रैफिक व्यवस्था का रास्ता निकाला है।
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: हेलंग से मारवाड़ी तक प्रस्तावित बाईपास निर्माण में जोशीमठ के लोगों के विरोध के बाद बीआरओ ने समाधान के लिए वनवे ट्रैफिक व्यवस्था का रास्ता निकाला है। बाईपास की चौड़ाई कम कर आधी कर दी गई है ताकि इसका इस्तेमाल वनवे में ही हो। बीआरओ का कहना है कि यदि फिर भी समाधान नहीं होता तो हाईवे को अलकनंदा की दूसरी ओर बदरीनाथ के पुराने पैदल मार्ग से बनाया जाएगा।
बता दें कि बदरीनाथ हाईवे पर चारधाम परियोजना के तहत सड़क चौड़ीकरण का काम चल रहा है। इसमें जोशीमठ के हेलंग से मारवाड़ी तक छह किमी बाईपास भी प्रस्तावित है। बाईपास निर्माण से बदरीनाथ की दूरी 16 किमी कम हो जाएगी। यह बाईपास सेना के लिए भी सीमा क्षेत्र में आवाजाही के लिए बेहतर विकल्प होगा। लेकिन, जोशीमठ के लोग धार्मिक नगर के अस्तित्व का हवाला देकर बाईपास का विरोध कर रहे हैं। तर्क है कि यदि यात्रा जोशीमठ से पहले ही बाईपास से संचालित होगी तो नगर के व्यवसायी बेरोजगार हो जाएंगे। जन विरोध के चलते बीआरओ के बाईपास निर्माण का कार्य शुरू नहीं हो पाया था। बीआरओ की 75 सड़क निर्माण इकाई के कमान अधिकारी मेजर प्रशांत चंद्र सरकार ने बताया कि सीमा सड़क संगठन की शिवालिक परियोजना के तहत मारवाड़ी बाईपास की चौड़ाई आधी कर इसे वनवे के रूप में संचालित करने का निर्णय लिया गया है। फिर भी यदि विरोध जारी रहता है तो अलकनंदा नदी की दूसरी ओर सड़क बनाई जाएगी। दिल्ली में डीजी बीआरओ लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल ¨सह की अध्यक्षता में मुख्य अभियंता शिवालिक बीआरओ आशु ¨सह राठौर की उपस्थिति में आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया। तय किया गया कि जोशीमठ बाईपास के सामरिक महत्व व जोशीमठवासियों के हित को ध्यान में रखते हुए बाईपास का निर्माण किया जाएगा। इसकी चौड़ाई 12 मीटर से घटाकर 5.5 मीटर की जाएगी। इसका इस्तेमाल केवल माणा-बदरीनाथ से आने वाली ट्रैफिक के लिए किया जाएगा। जोशीमठ की ओर जाने वाले सभी वाहन मौजूदा सड़क का ही इस्तेमाल करेंगे।
पहले से ही कटी है सड़क
विष्णुप्रयाग जलविद्युत परियोजना के काम के लिए 1974 के आसपास इस बाईपास निर्माण की स्वीकृति मिली थी। 1975 में इसका विरोध हो गया था। हालांकि 1980 तक यह सड़क छह किमी लंबी व 3.95 मीटर चौड़ी बना दी गई थी। लेकिन, इस पर अंतिम रूप से कार्य होकर वाहनों की आवाजाही शुरू होती, इससे पहले इस निर्माण का रोक दिया गया था। तब से अब तक इस बाईपास का विरोध जारी है।