पांच साल बाद भी सही नहीं हुई आधा किमी नहर
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: ¨सचाई नहरों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर हर साल करोड़ों रुपय
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: ¨सचाई नहरों के निर्माण और मरम्मत के नाम पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च करने वाले लघु ¨सचाई विभाग के पास पांच साल से क्षतिग्रस्त मंगरोली ¨सचाई नहर के लिए बजट तक नहीं है। हालत यह है कि पांच साल में आधा किमी नहर की मरम्मत नहीं हो सकी है। ¨सचाई के अभाव में काश्तकार गांव से पलायन कर रहे हैं। खेती बंजर हो रही है। इससे ग्रामीणों में रोष है।
कर्णप्रयाग ब्लॉक की मंगरोली ग्राम पंचायत में 100 से अधिक परिवार रहते हैं। अधिकतर लोग काश्तकारी से अपनी रोजी रोटी चलाते हैं। यहां के काश्तकार बासमती चावल के अलावा सब्जियों व नकदी फसलों की खेती करते हैं। एक दशक पहले लघु सिंचाई विभाग ने गांव में ¨सचाई के लिए कुंडबगड़ तो के छिलका गदेरे से नहर का निर्माण किया था। वर्ष 2013 की आपदा में गांव के निकट आधा किमी ¨सचाई नहर क्षतिग्रस्त हो गई थी। इसके बाद से गांव में ¨सचाई का संकट गहराने लगा था। पहले ग्रामीणों ने लघु ¨सचाई विभाग और प्रशासन से नहर मरम्मत के लिए कई बार मांग की। मगर कार्रवाई न होने के बाद ¨सचाई के दौरान क्षतिग्रस्त नहर की जगह ग्रामीणों ने पाइप लगाकर कुछ समय तक ¨सचाई भी की। पाइप पर पानी कम आने की वजह से सभी खेतों की ¨सचाई नहीं हो पा रही थी। हालत यह है कि पानी के अभाव में गांव के अधिकतर खेत बंजर या ऊसर हो गए हैं। काश्तकारी के जरिए अपनी रोजी रोटी चलाने वाले ग्रामीणों के सामने ¨सचाई का संकट गहराया तो गांव से पलायन भी शुरू हुआ। गांव के प्रधान तेजवीर ¨सह कंडेरी के मुताबिक 15 से अधिक परिवार गांव से पलायन कर रोजी रोटी की तलाश में बाहर चले गए हैं। उनका कहना है कि पांच सालों से आधा किमी क्षतिग्रस्त नहर की मरम्मत की मांग की जा रही है। मामले में लघु ¨सचाई विभाग के ईई वीबी बेंजवाल का कहना है कि आपदा मद में नहर की मरम्मत के लिए बजट की मांग की गई थी। बजट कम होने के कारण ¨सचाई नहर की मरम्मत नहीं हो पाई। बताया कि अन्य मदों में नहर मरम्मत के लिए बजट की मांग फिर से की गई है। बजट आवंटन होने के बाद क्षतिग्रस्त नहर की मरम्मत की जाएगी।