एक करोड़ खर्च करने के बाद भी नसीब नहीं पानी
संवाद सहयोगी गोपेश्वर चमोली जिले के ग्वीलों क्षेत्र की ढाई हजार की आबादी के हलक एक दशक
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली जिले के ग्वीलों क्षेत्र की ढाई हजार की आबादी के हलक एक दशक से सूखे हुए हैं। इस बड़ी आबादी को पानी मुहैया कराने के लिए जल संस्थान ने एक करोड़ रुपये की पंपिग योजना का निर्माण भी किया है। पांच सालों से इस पेयजल योजना पर पर्याप्त पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही है। यह पंपिग योजना फिलहाल शो पीस बनकर रह गई है। अब लोकसभा चुनावों के दौरान जनता ने फिर से यह मुद्दा उठाया है। जनता का कहना है कि चुनावों के वक्त नेताओं को वोटरों की याद आती है।
तकरीबन एक दशक पूर्व उत्तराखंड पेयजल संस्थान ने ग्वीलों चमणाऊं चमोली पंपिग पेयजल योजना का निर्माण किया था। इस पंपिग पेयजल योजना पर एक करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि खर्च भी की गई। मकसद था कि ग्वीलों, चमणाऊं, चमोली, कोठियालगांव, रामपुरा, बुराली, कोठियालसैंण, भेड़ी, अलकापुरी व लोअर चमोली समेत आसपास के गांवों की ढाई हजार की आबादी को पर्याप्त पानी मुहैया कराया जाए। पहले कुछ सालों तक इस पेयजल योजना पर पानी भी चला। इस पंपिग पेयजल योजना के निर्माण से ही निर्माण कार्य पर सवाल उठाए जा रहे थे। दरअसल योजना निर्माण के बाद ही जगह जगह पाइप लीकेज होने के कारण लोगों के घरों तक पर्याप्त पानी नहीं पहुंच पा रहा था। तब जनता ने आवाज उठाई। मगर जल संस्थान, प्रशासन व नेताओं ने भी इसे अनसुना कर दिया। अब पांच वर्ष पूर्व से इस योजना पर नाममात्र का पानी ही उपभोक्ताओं के घरों तक पहुंच रहा है। पेयजल योजना पर जगह जगह पाइप फटे हुए हैं। पानी उपभोक्ताओं के घरों तक पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच रहा है मगर इस पेयजल योजना का पानी जरूर सड़कों, नालियों को तर कर रहा है। ग्वीलों के ग्रामीण संदीप सिंह झिक्वाण का कहना है कि पंपिग पेयजल योजना बनने के बाद आस थी कि ग्वीलों क्षेत्र की ढाई हजार की आबादी को पर्याप्त मात्रा में पानी मुहैया होगा। उन्होंने बताया कि पेयजल योजना से नाममात्र का पानी ही उपभोक्ताओं के नलों तक आ रहा है। एक करोड़ की पेयजल योजना बनने के बाद भी इस क्षेत्र के लोग प्राकृतिक स्त्रोतों पर ही पीने के पानी के लिए निर्भर हैं।