आपदा पर भारी पड़ रही आस्था, इस तरह जान जोखिम में डाल उफनाते नदी-नाले पार कर रहे श्रद्धालु
चमोली जिले में बारिश से नदी-नाले उफान पर हैं। इस बीच विश्व प्रसिद्ध नंदा लोकजात का आयोजन चल रहा है। ऐसे में लोग जान खतरे में डाल मां की डोली को उफनाते-नदी नालों के पार ले जा रहे।
चमोली, जेएनएन। चमोली में लगातार हो रही बारिश से इंसानों के साथ-साथ अब भगवान भी आफत में पड़ गए हैं। दरअसल, यहां आए दिन रात को हो रही मूसलधार बारिश से नदियां और बरसाती नाले उफान पर है। इसबीच प्रसिद्ध नंदा लोकजात का आयोजन भी चल रहा है। ऐसे में श्रद्धालु जान जोखिम में डाल मां नंदा की डोली के साथ उफनाती नदी-नालों को पार कर रहे हैं।
उत्तराखंड में इनदिनों बारिश आफत बनकर बरस रही है। नदी-नाले उफान पर हैं और कई जगह मार्ग बाधित है। पर आफत की बारिश श्रद्धालुओं का हौसला डिगाने में नाकाम रही है। बता दें कि चमोली जिले में विश्व प्रसिद्ध नंदा लोकजात का आयोजन चल रहा है। 14 अगस्त को चमोली के विकासखंड घाट स्थित नंदादेवी के मंदिर सिद्धपीठ कुरुड़ से मां नंदा की डोली कैलाश के लिए विदा हुई।
विभिन्न पड़ावों के दुर्गम और जंगली रास्तों को पार कर मां नंदा की डोली 11 दिनों की यात्रा पूरी कर कैलाश पहुंचती है। यहा नंदासप्तमी के दिन लोकजात संपन्न होती है। पर भारी बारिश इनदिनों लोगों के साथ ही श्रद्धालुओं की मुश्किलें बढ़ा रही है। यहां श्रद्धालु जान जोखिम में डाल मां की डोली को पार करवाने के बाद ही दम ले रहे हैं। ऐसा ही एक वीडियो कुंडबगड़ गांव से सामने आया है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि भद्र गंगा उफान पर होने के बाद भी श्रद्धालुओं की आस्था नहीं डिगी और वो जान हथेली पर रख मां की डोली को पार ले गए।
नदी के दूसरी ओर फंसे दो ग्रामीणों को बचाया
पौड़ी जिले के नैनीडांडा ब्लाक में ब्यूरा गांव के मवेशी लेकर जंगल गए दो व्यक्ति पातालगढ़ नदी को पार कर दूसरी ओर चले गए। इस बीच एकाएक नदी का जलस्तर बढ़ गया और वे फंस गए। सूचना पर आपदा प्रबंधन टीम और पुलिस मौके पर पहुंची। रस्सियों के सहारे दोनों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
धारचूला के जुम्मा गांव में भूस्खलन, महिला लापता
बारिश और भूस्खलन से कुमाऊं का पिथौरागढ़ जिला सोमवार को भी प्रभावित रहा। धारचूला तहसील के जुम्मा गांव में भूस्खलन की चपेट में आने से महिला लापता हो गई। राजस्व दल और एसडीआरएफ टीम महिला की तलाश कर रही है, लेकिन देर शाम तक उसका कोई पता नहीं चला। इसके अलावा बागेश्वर में अतिवृष्टि से आठ मकान क्षतिग्रस्त हो गए।