लॉक डाउन में रम्माण मेले के आयोजन को लेकर असमंजस
संवाद सूत्र जोशीमठ कोरोना का असर सलूड़ डूंगरा गांव में आयोजित होने वाले विश्व सांस्कृति
संवाद सूत्र जोशीमठ:
कोरोना का असर सलूड़ डूंगरा गांव में आयोजित होने वाले विश्व सांस्कृतिक धरोहर रम्माण मेले पर पड़ सकता है। इस आयोजन को लेकर ग्रामीण असमंजस में हैं। क्योंकि 14 अप्रैल तक पूरे भारतवर्ष में लॉक डाउन है। 14 अप्रैल को ही भूमि क्षेत्रपाल मंदिर में भूमियाल देवता मंदिर में आते हैं तथा यहीं पर धार्मिक परंपरा के अनुसार रम्माण मेले के आयोजन को लेकर तिथि घोषित कर मेले का आयोजन शुरू होता है।
रम्माण मेला सलुड गांव में 500 साल से पुरानी परंपरा व संस्कृति है। मेले के दौरान दिन में क्षेत्रपाल भूमियाल देवता नृत्य व रात को मुखोटा नृत्य होता है। आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा इन मुखोटों से समाज में सनातन धर्म की रक्षा व लोगों को आशावान बनाने के लिए किया गया था। शंकरचार्य के शिष्यों द्वारा नुक्कड़ नाटकों के मध्यम से लोगों में धार्मिक जागरुकता लाई गई। जिसमें रामायण के विभिन्न प्रसंगों का 18 ढोल दमाऊं व 18 भोंकरे की थाप पर जागरों में माध्यम से 18 पत्तर 18 तालों पर मूक नृत्य होता है। इसमें भारत तिब्बत व्यापार, गोरखा-गोरख्याणी, मल्ल युद्ध, कुरहवेगी, चोर, मोर मोरिन सहित कई शानदार हास्य से भरे किरदार होती हैं। भूमियाल देवता नृत्य करता है। इस धार्मिक आयोजन के संयोजक डॉ. कुशल सिंह भंडारी का कहना है कि पूरे भारतवर्ष में 14 अप्रैल तक लॉक डाउन है। रम्माण मेले के आयोजन को लेकर ग्रामीण असमंजस में हैं।