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चीन सीमा के अंतिम गांव नीती में भी हैं बर्फानी बाबा

हरीश बिष्ट, गोपेश्वर (चमोली): अमरनाथ की भांति देवभूमि उत्तराखंड में भी एक गुफा में बफा

By JagranEdited By: Published: Sat, 03 Feb 2018 03:00 AM (IST)Updated: Sat, 03 Feb 2018 03:00 AM (IST)
चीन सीमा के अंतिम गांव नीती में भी हैं बर्फानी बाबा
चीन सीमा के अंतिम गांव नीती में भी हैं बर्फानी बाबा

हरीश बिष्ट, गोपेश्वर (चमोली): अमरनाथ की भांति देवभूमि उत्तराखंड में भी एक गुफा में बर्फानी बाबा विराजमान हैं। हर साल की तरह इस बार भी पिछले दिनों हुई बर्फबारी के बाद गुफा में शिवलिंग आकार ले चुका है और स्थानीय लोगों के साथ ही सेना व भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के जवान गुफा में पूजा अर्चना कर रहे हैं।

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चमोली जिले में जोशीमठ से 100 किलोमीटर दूर भारत-चीन सीमा पर स्थित अंतिम गांव है नीती। नीती से दो किलोमीटर दूर है नीती महादेव मंदिर। स्थानीय लोगों में इस मंदिर की बहुत मान्यता है। शीतकाल के दौरान मंदिर के पास ही एक गुफा में बर्फ का शिवलिंग आकार लेता है। गुफा में शिवलिंग पर पहाड़ी से लगातार जलधारा गिरती रहती है।

सेना के नियंत्रण वाले इस इलाके में बाहरी लोगों के लिए अनुमति लेना जरूरी है। अप्रैल से लेकर बरसात शुरू होने तक स्थानीय लोग मंदिर और गुफा में पूजा-अर्चना करते रहते हैं। शीतकाल शुरू होने पर नीती के ज्यादातर ग्रामीण जोशीमठ आ जाते हैं और ग्रीष्म काल में ही गांव लौटते हैं। सर्दियों में यहां सेना के जवानों अलावा सीमित संख्या में ग्रामीण रहते हैं।

नीती के पूर्व प्रधान खीम ¨सह खाती बताते हैं कि यदि बर्फबारी ठीक हो तो शिवलिंग की ऊंचाई तकरीबन पांच फुट तक हो जाती है। वह बताते हैं कि बर्फ का शिवलिंग अप्रैल तक रहता है। वह कहते हैं 'यदि सरकार अमरनाथ यात्रा की तर्ज पर यहां भी यात्रा संचालित करे तो क्षेत्र का भी विकास होगा।'

दरअसल, सुरक्षा की दृष्टि संवेदनशील होने के कारण यहां यात्रा के संचालन में कई तरह की दिक्कतें हैं। बाहरी लोगों को इनर लाइन (सेना द्वारा तय सीमा) से आगे जाने की अनुमति नहीं है। स्थानीय निवासी क्षेत्र के विकास के लिए यहां यात्रा शुरू करने की वकालत तो करते हैं, लेकिन वह भी मानते हैं कि सीमांत इलाके की संवेदनशीलता को देखते हुए ही कोई रास्ता निकाला जाना चाहिए। हालांकि वह जोर देते है कि इस स्थान को तीर्थाटन के मानचित्र पर लाने की जरूरत है।


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