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जानिए किस तरह से बाल श्रमिकों के लिए सहारा बनी चाइल्ड लाइन

चमोली जनपद में चाइल्ड हेल्पलाइन बाल श्रमिक और बेसहारा बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है।

By Edited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 03:00 AM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 05:51 PM (IST)
जानिए किस तरह से बाल श्रमिकों के लिए सहारा बनी चाइल्ड लाइन
जानिए किस तरह से बाल श्रमिकों के लिए सहारा बनी चाइल्ड लाइन
गोपेश्वर, जेएनएन। आपदा के बाद चमोली जिले में शुरू की गई चाइल्ड लाइन सेवा 1098 बाल श्रमिकों और बेसहारा बच्चों के लिए वरदान साबित हो रही है। पांच साल में 1098 के जरिये 619 बच्चों की मदद की जा चुकी है। 
साल 2013 में केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से चमोली जिले में चाइल्ड लाइन सेवा की शुरुआत की गई। इसके लिए जिले में कार्यरत स्वयंसेवी संस्था हिमाद को जिम्मेदारी सौंपी गई। वर्ष 2013 की आपदा में जब कई बच्चे लापता हुए, तो चाइल्ड लाइन सेवा की जरूरत तब भी महसूस की गई। पांच साल में इस सेवा के माध्यम से जिले में कुल 619 बच्चों की मदद की जा चुकी है। जिन बच्चों की मदद की गई, उनमें बाल श्रमिक, गुमशुदा, बीमारी से ग्रसित, अनाथ, दिव्यांग, यौन उत्पीड़न, स्कूल न जाने वाले बच्चे अधिकतर रहे। ये वह बच्चे हैं, जिनकी उम्र शून्य से 18 वर्ष तक है। 
इन बच्चों की हुई मदद 
वर्ष,           संख्या 
2014-15, 48 
2015-16, 84 
2016-17, 158 
2017-18, 185 
2018-19, 144 
ये गतिविधियां भी होती हैं 
-आउटरीच में 2180, ओपन हाउस में 110 हो चुके हैं। इसके अलावा इंफोर्मेशन कॉल का फालोअप, चिह्नित केस का फालोअप भी योजना में किया। 
-फोन टेस्टिंग के माध्यम से बच्चों की सुरक्षा से संबंधित मुद्दों का चिह्नीकरण, अभी तक 5321 फोन टेस्टिंग हो चुकी है। 
-पंचायत बाल संरक्षण समिति का गठन करने के लिए पंचायतों को प्रोत्साहित करना भी योजना का मकसद है। 
यहां भी की जाती है मदद 
-गुमशुदा बच्चों के लिए पुलिस के जरिये खोजबीन कर परिजनों तक पहुंचाना। 
-स्वास्थ्य विभाग की बच्चों को लेकर चलाई जाने वाली योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाकर उन्हें लाभ दिलाना। 
-बाल श्रम में लगे बच्चों की पहचान कर उन्हें घरवापसी कराना। 
-भिखारियों के बच्चों को भिक्षावृत्ति छुड़वाकर उन्हें घर भेजना व स्कूली शिक्षा से जोड़ना। -नशे के आदी बच्चों को काउंसलिंग कर नशे से मुक्त करना। 
-शोषित और पीड़ित बच्चों को कानूनी मदद दिलाना। 
चाइल्ड लाइन सेवा की समन्वयक प्रभा रावत ने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के लिए समय समय पर फोन नंबर 1098 का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर चाइल्ड लाइन से दोस्ती अभियान भी संचालित हो रहा है। बच्चे अपनी समस्याओं के लिए 1098 पर फोन कर रहे हैं, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए सकारात्मक पहल है। उमाशंकर बिष्ट, सचिव हिमाद समिति गोपेश्वर बच्चों की सुरक्षा के लिए चाइल्ड लाइन सेवा 24 घंटे तैयार रहती है। जिले में अभी तक 619 बच्चों की मदद की जा चुकी है।

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