पेयजल समस्या से जूझ रहा नगर क्षेत्र चंबा
संवाद सहयोगी, चंबा : चंबा पेयजल पंपिग पुनर्गठन योजना सरकार की फाइलों में कैद होने से चंबा के लोगों क
संवाद सहयोगी, चंबा : चंबा पेयजल पंपिग पुनर्गठन योजना सरकार की फाइलों में कैद होने से चंबा के लोगों को कई सालों से पेयजल संकट का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी के सीजन में बूंद-बूंद पानी को तरसने पर यह संकट दोगुना हो जाता है। स्थानीय लोग लंबे समय से पेयजल योजना के पुनर्गठन की मांग कर रहे हैं, लेकिन विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है।
पिछले दस साल से नगर के लोग योजना के पुनर्गठन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक योजना को वित्तीय स्वीकृति नहीं मिल पाई है। योजना के पुनर्गठन की मांग को लेकर नगर के लोग हर माह आंदोलन करते हैं, लेकिन उनकी मांग पर शासन-प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। बताते चलें कि छह वर्ष पूर्व जल निगम ने पंपिंग योजना के पुनर्गठन की कार्रवाई की ओर कदम बढ़ाए। उस समय जो योजना बनाई गई उसमें टिहरी झील के पानी को पंप कर चंबा पहुंचाना था। विभाग ने झील के पानी जांच कराई तो पता चला कि वह पीने लायक नहीं है। फिर झील के पानी को चंबा पहुंचाने की योजना रद्द कर दी गई। उसके ठीक एक साल बाद जल निगम चंबा ने नई योजना बनाई। जिसके तहत टिहरी बांध से करीब एक किमी आगे भागीरथी नदी से पानी को पंप कर चंबा पहुंचाने की बात कही गई। इसके लिए विभाग ने 32 करोड़ की पं¨पग योजना का स्टीमेट तैयार कर शासन को वित्तीय स्वीकृति को भेजा। लेकिन आज तक वित्तीय स्वीकृति नहीं हो पाई है।
यह है परेशानी
करीब चालीस साल पूर्व जब चंबा नगर के लिए दस किमी दूर नागणी हेंवलनदी से पंपिंग योजना का निर्माण किया तो उस समय नगर की आबादी करीब चार हजार थी। आज नगर की आबादी पच्चीस हजार से अधिक हो गई है। ऐसे में आबादी के अनुसार पानी की आपूर्ति नहीं रही है। नगर में पानी का इतना संकट है कि जल संस्थान को पानी पहले स्टोर करना पड़ता है उसके बाद हर तीसरे दिन पानी उपलब्ध कराया जाता है। गर्मियों में हेंवलनदी का जल स्तर कम होने से ये समस्या और बढ़ जाती है। नगर में पेयजल की समस्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है। पेयजल की समस्या का स्थाई समाधान तभी हो पाएगा। जब नई योजना बनेगी। इसलिए पंपिंग योजना का शीघ्र पुनर्गठन किया जाना चाहिए।
- दर्मियान सिंह सजवाण, अध्यक्ष उद्योग व्यापार मंडल चंबा नगर की पंपिंग योजना के पुनर्गठन का प्रस्ताव बहुत पहले शासन को भेजा गया था। जिसे न ही वित्तीय स्वीकृति मिली और न शासन से विभाग को कोई दिशा निर्देश मिले। आलोक कुमार, अधिशासी अभियंता, जल निगम चंबा