चमोली के जंगलों से बुरांश गायब
संवाद सूत्र जोशीमठ पहाड़ों के जंगलों की रंगत समझे जाने वाले राज्य पुष्प बुरांश इस बार जंगल
संवाद सूत्र, जोशीमठ: पहाड़ों के जंगलों की रंगत समझे जाने वाले राज्य पुष्प बुरांश इस बार जंगलों से गायब हो गए हैं। अमूमन फरवरी अंत और मार्च में जंगलों में सुर्ख लाल रंग के बुरांश खिलते हैं,लेकिन इस बार दूर दूर तक बुरांश की लालिमा नहीं दिख रही है। वनस्पति विज्ञानी जलवायु परिवर्तन को इसका कारण मान रहे हैं।
इसे ग्लोबल वाíमंग कहें या जलवायु में परिवर्तन राज्य वृक्ष बुरांश अभी तक पूरी तरह से खिला नहीं है। दूर-दूर तक इसकी सुर्ख लालिमा नहीं दिखाई दे रही है। राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में उगने वाला बुरांश अमूमन फरवरी के अंत में या मार्च माह में खिलना शुरू होता था। लेकिन इस बार पहाड़ों में बुरांश की लालिमा गायब हो गई है। इसका कारण पिछले तीन माह से रुक रुककर बर्फबारी, बारिश और कड़ाके की ठंड को भी माना जा रहा है। वनस्पति विज्ञानियों के मुताबिक नवंबर, दिसंबर माह में बुरांश की जो कलियां बनती है। इन कलियों को इस साल हुई अत्यधिक बर्फबारी से समय पर खिलने के लिए अनुकूल वातावरण नहीं मिल पाया। जिससे बुरांस के पेड़ पर अभी तक फूल नहीं खिल पाए हैं। खास बात यह है कि इस बार बुरांस के पेड़ों पर कोंपले भी नहीं खिली हैं।
बीते कुछ वर्षों से जलवायु में तेजी से हो रहे परिवर्तन के कारण समय से पहले ही बुरांश के पुष्प खिलने लग जाते थे। पिछले साल बुरांश प्रचुर मात्रा में खिला था। लेकिन इस बार बुरांश के खिले पुष्प अभी तक कहीं भी देखने को नहीं मिल रहे हैं। चमोली जिले के अधिकतर ग्रामीण जंगलों में यह पुष्प प्रचुर मात्रा में खिलता है। बुरांश के जूस को हृदय रोग के लिए रामबाण औषधि माना जाता है, लेकिन इस बार न बुरांश के पेड़ों पर कोंपले खिली है न बुरांश। औषधीय गुणों से भरपूर बुरांश के पुष्पों से लोग जूस बनाते है और कई लोगों का रोजगार इससे जुड़ा रहता है। लेकिन इस बार बुरांश के न फूलने से इससे जुड़े काश्तकारों के चेहरों पर मायूसी तो है ही यात्रा सीजन में देश-विदेश से आने वाले यात्रियों को भी बुरांश का जूस पीने को इस बार नहीं मिलेगा।
जोशीमठ में खाद्य प्रसंस्करण यूनिट संचालक महेंद्र सिंह नेगी का कहना है कि
चमोली में करीब 15 खाद्य प्रसंस्करण यूनिट संचालित की जा रही है। प्रतिवर्ष प्रति यूनिट 200 से 500 लीटर तक बुरांश का जूस तैयार किया जाता था। लेकिन इस बार बुरांश न खिलने से जूस उत्पादन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कर्णप्रयाग में विभागाध्यक्ष वनस्पति विज्ञान डा.विश्वपति भट्ट का कहना है कि बुरांश की फ्लॉवरिग इस वर्ष अत्यधिक ठंड के चलते नहीं हो पाई है। बताया जा रहा है कि बुरांश को फ्लॉवरिग के लिए 20 से 25 डिग्री तापमान की जरूरत होती है। जो अभी तक मिला नही है। जिस कारण इस वर्ष बीते वर्षों की अपेक्षा बुरांश के फूलों की उपज बहुत कम हुई है।