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बजट के अभाव में सूख रही नहर और फसल

संवाद सूत्र कर्णप्रयाग लगातार बदलते मौसम के मिजाज से इस बार मानसून कम रहने की कयासबाजी के

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 06:53 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 06:53 PM (IST)
बजट के अभाव में सूख रही नहर और फसल
बजट के अभाव में सूख रही नहर और फसल

संवाद सूत्र, कर्णप्रयाग :

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लगातार बदलते मौसम के मिजाज से इस बार मानसून कम रहने की कयासबाजी के बीच बारिश पर आधारित परंपरागत खेती करने वाले पहाड़ के काश्तकारों सिंचाई की समस्या सताने लगी है। वहीं वर्ष 2013 से जनपद चमोली के कर्णप्रयाग विकासखंड की क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों की मरम्मत को बजट स्वीकृत न होने से किसान मायूस हैं।

विकासखंड के अंर्तगत क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों के आंकड़ों पर गौर करें तो अनुसार वर्ष 1956-1987 के मध्य बनी छह से अधिक सिंचाई नहरें वर्षाकाल के दौरान भूस्खलन व मानकों के अनुरूप कार्य न होने से क्षतिग्रस्त हालत में पहुंच गई हैं। जबकि वर्ष 2013 में आपदा के चलते सात नहरों पर पानी नही चल पाया है। जिनकी मरम्मत के लिए लगातार बीते पांच वर्ष से शासन से आंगणन प्रेषित कर मरम्मत की मांग की जा रही है। बावजूद इसके शासनस्तर से धनराशि स्वीकृति नहीं हो सकी है। काश्तकार सूरज सिंह, कुंवर सिंह, संजय सिंह, प्रेम सिंह ने कहा क्षेत्र की अधिकांश उपजाऊ भूमि वर्षा पर निर्भर है। लेकिन समय पर बारिश न होने से क्षेत्र के किसानों को सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था प्राप्त न होने से खेती के प्रति लोगों का रुझान कम हो रहा है। जबकि ग्रामीण अंचलों में जंगली जानवरों सुअर व बंदरों के आतंक से किसानों ने परंपरागत खेती छोड़ दी है। गौचर से लगे रावलनगर, बमोथ, झिरकोटी, पोखरी, पनाई में काश्तकार नहरों पर बूंद-बूंद पानी के लिए विभाग से फरियाद करते थक चुके हैं। वर्तमान में कर्णप्रयाग सिंचाई खंड की ओर से सात क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत के लिए विभाग ने एक करोड़ 59 लाख रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है। जिनमें मुख्य रूप से बगोली क्षतिग्रस्त नहर 2100मी., गौचर पनाई नहर 1800 मी., देवल 1300 मी., सुनाक पोखरी नहर झिरकोटी नहर 900 मी., रावलनगर 1200मी., बालों-सेरा 1200 मी. व गलनाऊं 500 मी. आदि शामिल हैं। बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए 814.49 लाख रुपये का इस्टीमेट

कर्णप्रयाग : इसी तरह विकासखंड कर्णप्रयाग के सिमली में पिंडर नदी तट पर वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद बाढ़ सुरक्षा कार्य नही हो सके हैं जिससे भू-कटाव की समस्या बरकरार है, क्षेत्रवासियों का कहना है कि हर बार निर्माण बाढ़ की भेंट चढ़ जाता है। जिस पर सिंचाई विभाग सिमली औद्योगिक परिसर में बाढ़ सुरक्षा कार्य के 400 मीटर दीवार निर्माण हेतु 349.37 लाखरुपये व अलनंदा तट पर देवलीबगड़ में बाढ़ सुरक्षा हेतु 525मी. दीवार के लिए 465.12 लाख रुपये का आंगणन शासन को भेजा है। क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों के पुर्नस्थापना व बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए कई बार शासन को इस्टीमेट भेजा जा चुका है लेकिन इस बार आशा है कि सरकार राशि स्वीकृत कर देगी उसके बाद ही कार्य निविदा के आधार पर प्रारंभ होंगे। जेपी थपलियाल, सहायक अभियंता सिंचाई खंड कर्णप्रयाग साठ के दशक की गौचर-पनाई नहर भी बनी शोपीस

गौचर : साठ के दशक में बनी गौचर-पनाई तथा पोखरी विकासखंड के बमोथ गांव के सिंचाई नहरों की हालत खस्तास्थिति कमोबेश यही स्थिति बयां कर रही है। यहां काश्तकारों को नहर से पानी नसीब नहीं है। सिंचाई विभाग की उदासीनता के चलते पनाई नहर पर पानी आपूर्ति सुचारु नहीं हो पा रही है। वहीं दूसरी ओर तीन हजार नाली कृषि भूमि को सिंचित करने को बनी सिंचाई विभाग की बमोथ नहर छह माह से बंद है। स्थानीय लोगों ने इस नहर चालू करने के लिए कई बार धरना-प्रदर्शन किया। बावजूद इसके स्थिति जस की तस है। बमोथ नहर कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त होने से पानी खेतों तक नही पहुंच रहा है। वहीं मलबा व झाडियां नहर पर उगने से पानी चलाना किसानों के लिए परेशानी का सबब बना है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नहर की देखरेख को बेलदार की तैनाती की गई है। लेकिन नहर की हालत देख विभागीय दावा हवाई साबित हो रहा है।

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