बदरीनाथ हाईवे भारी मलबा आने से दस घंटे रहा बंद, ढाई दशक से नासूर बना है लामबगड़ स्लाइड जोन
बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में भारी मलबा सड़क पर आ जाने से करीब दस घंटे बंद रहा। लामबगड़ स्लाइड जोन पर सड़क बीस मीटर तक क्षतिग्रस्त भी हो गई थी।
चमोली, जेएनएन। बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में भारी मलबा सड़क पर आ जाने से करीब दस घंटे बंद रहा। लामबगड़ स्लाइड जोन पर सड़क बीस मीटर तक ध्वस्त हो गई थी। इसके चलते नेशनल हाईवे की टीम ने पहाड़ी को काटकर शाम को हाईवे को यातायात के लिए सुचारू किया।
बदरीनाथ हाईवे पर लामबगड़ स्लाइड ढाई साल से नासूर बना हुआ है। अक्सर यहां भारी मलबा सड़क पर आ जाने से मार्ग अवरुद्ध हो जाता है। यहां पर ट्रीटमेंट कार्य की कछुवा चाल के कारण हर यात्रा सीजन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। रविवार को सुबह छह बजे स्लाइड जोन पर भारी भूस्खलन से मलबा और बोल्डर हाइवे पर आने से 20 मीटर के करीब हाइवे ध्वस्त हो गया।
हाईवे के बाधित होने के चलते यहां वाहनों की आवाजाही भी पूरी तरह से बंद रही। हाईवे की दोनों ओर वाहनों की लंबी कतारें लगी हुई रही, जिससे लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा। इस दौरान माणा और बामणी गांव के कई परिवार भी यहां पर घंटों फंसे रहे। बामणी और माणा के ग्रामीण अपने शीतकालीन प्रवासों पर जा रहे थे। लामबगड़ स्लाइड जोन में बार-बार मलबा सड़क पर आने से नेशनल हाईवे टीम की मुश्किलें भी बढ़ी रहीं।
इस बरसात में भी रुलाएगा जजरेड पहाड़ी का भूस्खलन
कालसी चकराता मार्ग पर जजरेड पहाड़ी पर होता भूस्खलन इस बरसात में भी रुलाएगा। भूस्खलन को रोकने के लिए लोनिवि की ओर से लाखों रुपये की लागत से बनाई गई सुरक्षा दीवार झुकने से इस बरसात में खतरा और बढ़ गया है। वहीं, जजरेड पर पुल निर्माण कराने का लोनिवि साहिया खंड की ओर से भेजा गया प्रस्ताव भी ठंडे बस्ते में है।
दरअसल, जजरेड पहाड़ी का ढाई सौ मीटर हिस्सा लोगों के लिए मुसीबत बना हुआ है। हल्की बारिश में पहाड़ी से गिरने वाले मलबे से जौनसार बावर की लाइफ लाइन कालसी चकराता मोटर मार्ग बाधित हो जाता है। लोक निर्माण विभाग के करोड़ों रुपये खर्च होने पर भी समस्या का स्थाई समाधान नहीं निकल सका है। जौनसार बावर क्षेत्र की करीब डेढ़ लाख की आबादी को मुख्य धारा से जोड़ने वाले इस मार्ग पर जजरेड पहाड़ी से भूस्खलन की समस्या का हल निकालने को लोनिवि ने अलग से एक पुल बनाने का प्रस्ताव भी शासन में भेजा, लेकिन वह भी ठंडे बस्ते में है।
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लोनिवि ने मलबे को रोकने के लिए लाखों रुपये कंक्रीट की दीवार बनाने पर खर्च कर डाले, लेकिन अब झुकी दीवार ही खतरा बन गई है। वहीं, एसडीएम डॉ. अपूर्वा सिंह ने काफी पहले मलबे से झुकी दीवार देखकर लोनिवि के अधिशासी अभियंता को दीवार के पीछे से मलबा हटाने को कहा था, लेकिन हल कुछ नहीं निकला।
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