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क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों को बजट का इंतजार

कालिका प्रसाद, कर्णप्रयाग भले ही झमाझम बारिश और बर्फबारी होने से किसानों को बेहतर उत्पाद

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Feb 2019 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 19 Feb 2019 03:00 AM (IST)
क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों को बजट का इंतजार
क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों को बजट का इंतजार

कालिका प्रसाद, कर्णप्रयाग

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भले ही झमाझम बारिश और बर्फबारी होने से किसानों को बेहतर उत्पादन की उम्मीद जगी हो। लेकिन, चमोली जिले के किसानों की उम्मीदें अबतक धूमिल हैं। वर्ष 2013 से चमोली जिले के कर्णप्रयाग विकासखंड की क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों की मरम्मत को शासन से बजट का इंतजार है। लंबे समय से समय पर धनराशि न मिलने से किसानों में नाराजगी बनी हुई है।

कर्णप्रयाग विकासखंड के तहत विभागीय आंकड़ों पर गौर करें तो पता चलता है कि वर्ष 1956-1987 के बीच बनी छह से अधिक सिंचाई नहरें वर्षाकाल के दौरान भूस्खलन और मानकों के अनुरूप कार्य न होने से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। जबकि, वर्ष 2013 की आपदा के चलते सात नहरों में पानी ही नहीं है। जिनकी मरम्मत के लिए बीते पांच वर्ष से शासन को आंगणन भेजा जा रहा है। लेकिन, अबतक धनराशि स्वीकृत नहीं हो सकी है। किसान कुंवर सिंह और रणजीत सिंह बताते हैं कि क्षेत्र की अधिकांश उपजाऊ भूमि बारिश पर निर्भर है। लेकिन, समय पर बारिश न होने और सिंचाई की वैकल्पिक व्यवस्था न मिलने के चलते किसानों की रुचि खेती से कम होती जा रही है। जबकि, ग्रामीण अंचलों में जंगली जानवरों के आतंक से किसान परंपरागत खेती छोड़ रहे हैं। गौचर से लगे रावलनगर, बमोथ, झिरकोटी, पोखरी और पनाई में नहरों में बूंद-बूंद पानी के लिए विभाग से फरियाद किया जा रहा है। वर्तमान में कर्णप्रयाग सिंचाई खंड की ओर से सात क्षतिग्रस्त नहरों की मरम्मत के लिए विभाग की ओर से एक करोड़ 59 लाख का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इनमें मुख्य रूप से बगोली (2100 मीटर) क्षतिग्रस्त नहर, गौचर पनाई नहर (1800 मीटर), देवल (1300 मीटर), सुनाक पोखरी नहर, झिरकोटी नहर (900 मीटर), रावलनगर (1200 मीटर), बालों-सेरा (1200 मीटर) और गलनाऊं (500 मीटर) आदि शामिल हैं।

बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए 814.49 लाख का इस्टीमेट शासन को भेजा

इसी तरह विकासखंड कर्णप्रयाग के सिमली में पिंडर नदी तट पर वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद बाढ़ सुरक्षा कार्य नहीं हो सके हैं। इससे भूकटाव की समस्या बरकरार है। क्षेत्रवासियों का कहना है कि हर बार निर्माण बाढ़ की भेंढ़ चढ़ जाता है। सिंचाई विभाग की ओर से सिमली औद्योगिक परिसर में बाढ़ सुरक्षा कार्य के 400 मीटर दीवार निर्माण के लिए 349.37 लाख और अलकनंदा तट पर देवलीबगड़ में बाढ़ सुरक्षा के लिए 525 मीटर दीवार के लिए 465.12 लाख रुपये का आंगणन शासन को भेजा गया है।

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क्षतिग्रस्त सिंचाई नहरों की पुनस्र्थापना और बाढ़ सुरक्षा कार्य के लिए कई बार शासन को इस्टीमेट भेजा जा चुका है। इस बार उम्मीद है कि सरकार राशि स्वीकृत कर देगी। उसके बाद ही कार्य निविदा के आधार पर शुरू होंगे।

जेपी थपलियाल, सहायक अभियंता सिंचाई खंड कर्णप्रयाग

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साठ के दशक की गौचर-पनाई नहर भी बनी शोपीस

गौचर: साठ के दशक में बनी गौचर-पनाई और पोखरी विकासखंड के बमोथ गांव की सिंचाई नहरें भी बदहाल हैं। यहां किसानों को सिंचाई के लिए नहर से पानी नहीं मिल पा रहा है। सिंचाई विभाग की उदासीनता के चलते पनाई नहर में जलापूर्ति सुचारू नहीं हो पा रही है। वहीं दूसरी ओर तीन हजार नाली कृषि भूमि को सिंचित करने के लिए बनी सिंचाई विभाग की बमोथ नहर छह माह से बंद है। स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार आंदोलन करने के साथ ही लिखित रूप से विभागीय अधिकारियों को स्थिति से अवगत कराया। लेकिन, स्थिति जस की तस है। बमोथ नहर कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त होने से पानी खेतों तक नहीं पहुंच रहा है। वहीं मलबा और झाड़ियां नहर पर उगने से पानी चलाना किसानों के लिए परेशानी का सबब बना है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि नहर की देखरेख को बेलदार की तैनाती की गई है। लेकिन, नहर की हालत देख विभागीय दावा हवाई साबित हो रहा है।


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