Avalanche in Uttarakhand: भारत-चीन सीमा पर हिमस्खलन के बाद बाढ़ की आशंका से सहमे लोग, पहले भी मची थी तबाही
Avalanche in Uttarakhand सोमवार सुबह जनपद चमोली में भारत-चीन सीमा से पहले कुंती ग्लेशियर से हिमखंड टूट गया। घटना का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने से धौली गंगा और अलकनंदा के किनारे बसे क्षेत्रों में नदियों में बाढ़ आने की आशंका से काफी देर तक हड़कंप जरूर मचा रहा।
संवाद सहयोगी, चमोली: Avalanche in Uttarakhand: सोमवार सुबह जनपद चमोली में भारत-चीन सीमा से पहले कुंती ग्लेशियर से हिमखंड टूट गया। समुद्रतल से करीब 17,500 फीट की ऊंचाई पर टूटा हिमखंड कुंती पर्वत की तलहटी पर करीब नौ किमी नीचे स्थित मलारी गांव के पास से गुजर रहे गदेरे (नाले) में समा गया। जिसके बाद लोग बाढ़ की आशंका से सहम गए।
बर्फ की फुहारें मलारी गांव तक भी पहुंचीं। हालांकि, इससे गांव में किसी तरह का नुकसान होने की सूचना नहीं हैं। शीतकाल में मलारी गांव के लोग जोशीमठ और आसपास के क्षेत्र में प्रवास पर आ जाते हैं।
घटना का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित होने से धौली गंगा और अलकनंदा के किनारे बसे क्षेत्रों में नदियों में बाढ़ आने की आशंका से काफी देर तक हड़कंप जरूर मचा रहा। कुछ देर बाद जिला प्रशासन ने स्थिति स्पष्ट कर दी, जब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली।
हिमखंड टूटने की आवाज सुनकर सुरक्षा चौकियों में तैनात जवान बाहर निकले
बताया गया कि सुबह करीब आठ बजे कुंती ग्लेशियर से हिमखंड टूटने की आवाज सुनकर सुरक्षा चौकियों में तैनात जवान बाहर निकले। उन्हें सामने बर्फ का गुबार नजर आया, जो तेजी से कुंती पर्वत से मलारी गांव की तरफ बढ़ रहा था। कुछ ही मिनटों में बर्फ का गुबार कुंती गदेरे में समा गया।
चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना के अनुसार कुंती ग्लेशियर से छोटा हिमखंड टूटा है। इससे मलारी गांव या उसके आसपास किसी भी भवन या संपत्ति को कोई क्षति नहीं पहुंची है।
जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि हिमस्खलन की घटना के बाद सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की टीम ने मलारी गांव में जाकर स्थिति का जायजा लिया था। वहां सब कुछ ठीक-ठाक है। किसी भी पुल या भवन को कोई नुकसान नहीं हुआ है।
नीति घाटी का सबसे बड़ा गांव है मलारी
जोशीमठ से करीब 66 किमी दूर स्थित मलारी भारत-चीन सीमा से लगी नीति घाटी का सबसे बड़ा गांव है। यहां भोटिया जनजाति के 150 से अधिक परिवार निवास करते हैं।
सर्दी के मौसम में अत्यधिक बर्फबारी होने के कारण ये परिवार जोशीमठ, नंदप्रयाग, घाट आदि निचले इलाकों में प्रवास पर आ जाते हैं। इन दिनों भी ये परिवार प्रवास पर हैं और मलारी गांव फिलहाल निर्जन है। इस गांव से करीब डेढ़ किमी पहले सेना का और तीन किमी आगे आइटीबीपी का कैंप है।
आइटीबीपी के पास ही बीआरओ का कैंप है। सुरक्षा की दृष्टि से सेना और आइटीबीपी के कुछ जवान मलारी गांव के पास बनी चौकियों में चौबीसों घंटे तैनात रहते हैं।
बाढ़ की आशंका से सहमे रहे लोग
कुंती पर्वत से निकला कुंती गदेरा मलारी गांव से कुछ दूरी पर धौली गंगा में मिल जाता है। धौली गंगा यहां से रैंणी और तपोवन होते हुए जोशीमठ के पास विष्णुप्रयाग में अलकनंदा नदी में मिलती है।
सोमवार को जब हिमस्खलन की घटना का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हुआ तो जोशीमठ तक धौली गंगा और अलकनंदा नदी के किनारे बसे क्षेत्रों में लोग सहम गए।
दरअसल, सात फरवरी 2021 को इसी तरह ऋषिगंगा नदी में ग्लेशियर से टूटा हिमखंड गिरने के बाद बाढ़ आई थी, जिसने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी।
ऐसे में लोगों को आशंका थी कि दोबारा वही मंजर न देखना पड़ जाए। हालांकि, जिला प्रशासन ने हालात की स्पष्ट जानकारी देकर नागरिकों के भय को दूर कर दिया।