Operation smile: छह साल बाद परिवार से मिला आपदा में लापता बुजुर्ग, पढ़िए पूरी खबर
ऑपरेशन स्माइल ने 35 वर्ष के शकील अहमद को नववर्ष का ऐसा तोहफा दिया जिसे शायद वह ताउम्र न भुला सकें।
गोपेश्वर(चमोली), जेएनएन। पुलिस के ऑपरेशन स्माइल ने 35 वर्ष के शकील अहमद को नववर्ष का ऐसा तोहफा दिया जिसे शायद वह ताउम्र न भुला सकें। केदारनाथ आपदा के बाद जिस पिता को उन्होंने खो दिया था, आज वह उनके सामने है। आंखों में लरजते आंसू लिए वह बोले 'खुदा के घर देर है, अंधेर नहीं।' वर्ष 2013 में ऊधमसिंहनगर जिले के सितारगंज से चमोली जिले के जोशीमठ मजदूरी के लिए घर से निकले जमील अहमद छह साल बाद आज अपने परिवार के साथ है।
सैकड़ों परिवारों की तरह केदारनाथ आपदा जमील के परिवार के लिए भी अभिशाप साबित हुई। यात्रा सीजन में वह वर्षों से मजदूरी की तलाश में जोशीमठ या लामबगड़ आते रहते थे। वर्ष 2013 में भी वह लामबगड़ में मजदूरी करने लगे। वह तारीख तो जमील को याद नहीं है, लेकिन इतना याद है कि अलकनंदा का उफान इस कदर भयानक था कि वह भी उसकी चपेट में आ गए। इसके बाद क्या हुआ उन्हें नहीं पता।
जमील को परिवार से मिलाने वाले आपरेशन स्माइल के टीम प्रभारी उप निरीक्षक नितिन बिष्ट ने बताया कि पिछले माह पांच दिसंबर को उन्होंने गोपेश्वर स्थित वृद्धाश्रम में ऐसे लोगों के बारे में पूछा तो वहां वृद्ध के बारे में पता चला। जब बिष्ट वृद्ध से मिले तो उन्होंने सिर्फ इतना बताया कि वह सितारगंज के रहने वाले हैं। बिष्ट के अनुसार वृद्धाश्रम प्रभारी कुसुम लता डिमरी ने बताया कि वर्ष 2013 में यह बुजुर्ग बाजार में घूमते मिले तो कोई उन्हें आश्रम छोड़ गया। बुजुर्ग की मानसिक स्थिति ठीक नहीं थी। तब वह घर का पता भी नहीं बता पा रहे थे। आश्रम में इलाज के बाद उनकी सेहत तो सुधरी, लेकिन वह अपने बारे में पूरी जानकारी नहीं दे सके। नितिन ने खुद भी कोशिश की, लेकिन वह ज्यादा कुछ नहीं बता सके।
इस पर नितिन बिष्ट ने 24 दिसंबर को कांस्टेबल चंदन नागरकोटी को बुजुर्ग के परिवार का पता लगाने के लिए सितारगंज भेजा। चंदन पहले भी सितारगंज में तैनात रहे थे, इसीलिए स्थानीय लोगों से भी उनकी पहचान है। चंदन ने बताया कि स्थानीय पुलिस से संपर्क करने के साथ ही उन्होंने जमील का फोटो सोशल मीडिया पर भी पोस्ट कर दिया। इसका असर यह हुआ के कामयाबी जल्दी मिल गई। जमील के भतीजे वसीम ने यह फोटो देखा तो अपने चाचा को पहचान गए। उन्होंने स्वजनों को सूचना दी। इस पर स्वजनों ने नागरकोटी से मुलाकात की और बताया कि वे लोग सितारगंज के पास चीनती माजरा का रहने वाले हैं। जलील के परिवार में दो बेटे और दो बेटियां हैं।
30 दिसंबर को नागरकोटी ने मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए जमील की परिवार के सदस्यों से बात कराई। बात करते हुए जमील की आंखें भी नम थीं और स्वजनों की भी। बुधवार को जमील के बड़े बेटे शकील और उनकी मां मोबिन गोपेश्वर पहुंची। जैसे ही वृद्धाश्रम में तीनों मिले तो हर कोई भावुक हो गया। पत्नी मोबिन ने जमील को बताया कि उन्होंने शकील और दोनों बेटियों की शादी कर दी है। फर्नीचर का काम करनेे वाले शकील ने बताया कि अब उनके छोटे भाई की शादी होनी है।
यह भी पढ़ें: नकदी खेती को टिहरी के खुशीराम ने दी नई पहचान, पढ़िए पूरी खबर