शीतकाल के लिए बंद हुए आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट
श्री बदरीनाथ मंदिर परिसर में स्थित भगवान आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं।
चमोली, जेएनएन। श्री बदरीनाथ मंदिर परिसर में स्थित भगवान आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। अब भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने के बाद श्रद्धालु आदि केदारेश्वर भगवान की पूजा अर्चना व दर्शन कर पाएंगे।
श्री बदरीनाथ धाम में पंच पूजाओं के तहत आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद किए गए। इस साल 17 नवंबर को सायं 5:13 बजे बदरी विशाल के कपाट बंद होने हैं। इससे पहले धाम में पंच पूजाओं का प्राविधान है। सुबह भगवान बदरी विशाल की अभिषेक व प्रात:कालीन पूजाओं के बाद बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी मंदिर परिसर में स्थित आदि केदारेश्वर मंदिर में पहुंचे। यहां पर रावल के अलावा धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल व वेदपाठियों ने सबसे पहले भगवान आदि केदारेश्वर की पूजा अर्चना की। उसके बाद श्रद्धालुओं द्वारा भगवान आदि केदारेश्वर के दर्शन व पूजा अर्चना की गई।
तत्पश्चात भगवान आदि केदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद किए गए। अब भगवान बदरी विशाल के कपाट खुलने के बाद फिर से श्रद्धालु भगवान आदि केदारेश्वर के दर्शन कर पाएंगे। इस मौके पर श्री बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के सीईओ बीडी सिंह के अलावा कई श्रद्धालु मौजूद थे।
17 नवंबर को बंद किए जाएंगे बदरीनाथ धाम के कपाट
पंच पूजाओं के साथ विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद करने की प्रक्रिया आरंभ हो गई है। इसी कड़ी में पहले दिन बुधवार को धाम में स्थित गणेश मंदिर के कपाट बंद किए गए। बदरीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को शाम 5.13 बजे बंद किए जाएंगे।
बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पहले पंच पूजाओं का विशेष महत्व है। इसके तहत भगवान गणेश, आद्य केदारेश्वर, खडग पुस्तक व महालक्ष्मी की पूजाएं होती हैं और सबसे पहले गणेश मंदिर के कपाट बंद किए जाते हैं। इसी क्रम में बुधवार सुबह भगवान बदरी विशाल की पूजा-अर्चना के बाद मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने मंदिर परिसर में भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की।
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धाम में मौजूद श्रद्धालुओं ने भी भगवान गणेश के दर्शनों का पुण्य अर्जित किया और फिर मंदिर के कपाट बंद कर दिए गए। इस मौके पर धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, वेदपाठी सत्य प्रसाद चमोला, राधाकृष्ण थपलियाल समेत बड़ी तादाद में श्रद्धालु मौजूद थे।
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