सीवर सुविधा के इंताजार में बीता एक दशक
फोटो 9 जीओपीपी 4 संवाद सहयोगी गोपेश्वर चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर में एक दशक पहले
संवाद सहयोगी, गोपेश्वर: चमोली के जिला मुख्यालय गोपेश्वर में एक दशक पहले लगे सीवर लाइन का लाभ जनता को इसलिए नहीं मिला क्योंकि सीवर ट्रीटमेंट प्लांट के निर्माण में गंगा प्रदूषण इकाई ने काफी समय लगा दिया। शहरवासियों में आक्रोश है, उनका कहना है कि आखिर योजनाओं को क्रियान्वित करने में जिम्मेदार विभागों की लेट लतीफी पर कार्रवाई क्यों नही होती।
नदी किनारे के शहरों, कस्बों में गंगा प्रदूषण इकाई ने सीवरेज ट्रीटमेंट के माध्यम से स्वच्छता को लेकर कार्ययोजना बनाई थी। इस कार्ययोजना के तहत वर्ष 2006 में गोपेश्वर शहर में सीवर लाइन बिछाई गई। शहर को तीन भागों में बांटकर तीन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट लगने थे। इसके लिए बकायदा नगर में गली, मोहल्ले में पैदल मार्गो से सीवर लाइन बिछाई गई थी। लोगों ने उम्मीद भी कि घरों को सीवर लाइन से जोड़कर सीवर सीधे ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाया जाए। ताकि सीवर का पानी साफ कर इसे नदी नालों में छोड़ दिया जाए। लेकिन गंगा प्रदूषण इकाई पर्याप्त धनराशि के बाद भी शहर में तीन सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य समय पर कराने में विफल रही।
अभी पोखरी बैंड के पास, जीरो बैंड के पास व गोपेश्वर गांव के पास ट्रीटमेंट प्लांट का कार्य हो रहा है। लेकिन यह कार्य काफी धीमी गति से जारी है, जिसके चलते फिलहाल शहर को इसकी सुविधा अभी नही मिल पा रही है। सीवर का पानी गड्ढों के माध्यम से जमीन में समाने लगा है। इसके चलते जगह-जगह भू स्खलन की शिकायतें हैं। शहरवासियों का कहना है कि केंद्र व राज्य सरकारों के प्राथमिकता में होने के बाद भी सीवर सिस्टम के निर्माण में हो रही देरी से गंदगी नालों के माध्यम से गंगा में भी प्रवाहित हो रही है। जिम्मेदार विभाग की लापरवाही की देन है कि गंगा प्रदूषण का कारण बन रही है।