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45 भवनों में घुसा मलबा, भारी नुकसान

चमोली जिले में मानसून की दस्तक के साथ ही लोगों की परेशानियां भी बढ़ने लगी हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 10:39 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2020 06:10 AM (IST)
45 भवनों में घुसा मलबा, भारी नुकसान
45 भवनों में घुसा मलबा, भारी नुकसान

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर : चमोली जिले में मानसून की दस्तक के साथ ही लोगों की परेशानियां भी बढ़ने लगी हैं। शनिवार रातभर हुई बारिश से सोनला गांव में 10 व देवलीबगड़ में 30 घरों व कालेश्वर में औद्योगिक क्षेत्र में पांच भवनों में मलबा भर गया है। तेफना, उतरों, सुनाली में भी भारी नुकसान हुआ है। यहां भी आवासीय भवनों में मलबा घुसा। कई गांवों में ग्रामीणों ने घरों से भाग कर सुरक्षित स्थानों में जाकर जान बचाई है। तेफना में एक कार मलबे में दबी व बैराजकुंज में एक जेसीबी मशीन उफान में बह गई है। भारी नुकसान की सूचना के बाद दोपहर को सिर्फ क्षेत्र के पटवारी ही मौके पर पहुंचे।

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तेफना में शनिवार मध्य रात्रि को बांतोली गदेरा व बाबुला गदेरे में पानी के साथ भारी मलबा आया। इस दौरान पुष्पा देवी, थोबी लाल, राकेश लाल और हिम उर्जा परिसर सहित कई लोगों के घरों में मलबा घुस आया। ग्रामीणों ने घर से सुरक्षित स्थानों में शरण ली। यहां वर विरेंद्र रावत सहित अन्य ग्रामीणों की खेती की भूमि , निर्माणाधीन पोल्ट्री फार्म व निर्माण सामग्री को क्षति पहुंची है। बदरीनाथ हाईवे पर चौड़ीकरण कार्य का मलबा भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बना। हाईवे का मलबा सोनला , देवलीबगड़ व कालेश्वर में लोगों के घरों में घुसा है। इससे ग्रामीणों को भारी नुकसान पहुंचा है। ग्रामीणों ने एनएच का कार्य कर रही कंपनी के अधिकारियों से फरियाद लगानी चाही तो वह भी निर्माण स्थल से गायब हो गए। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष विरेंद्र रावत ने कहा कि सूचना के बाद भी प्रशासन आपदा प्रभावितों की खबर लेने नहीं आया।

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संचार सेवा रही बाधित

मौसम के बदले मिजाज व आपदा की दस्तक के दौरान दूरसंचार सेवाएं भी रविवार को दोपहर तक बंद रही। बीएसएनएल सहित अन्य मोबाइल सेवाओं के नेटवर्क गायब रहने से लोग एक दूसरे से संपर्क नहीं कर सके। दोपहर बाद मोबाइल सेवाएं सुचारू हुई। बीएसएनएल ने ओएफसी लाइन में दिक्कत आने से दूरभाष सेवा बाधित होने की बात कही है।

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खतरे के निशान से नीचे अलकनंदा

चमोली जिले में बारिश से गाड़-गदेरों के साथ ही नदियां भी उफान पर हैं। हालांकि अभी नदियों का जल स्तर खतरे के निशान से नीचे हैं। प्रमुख नदी अलकनंदा का जल स्तर खतरे के निशान से साढ़े तीन मीटर नीचे बह रही है।


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