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19 साल की युवती कुछ इस तरह संवार रही बच्चों का भविष्य, इस पहल की आप भी करेंगे सराहना

उत्तराखंड के चमोली जिले में 19 साल की शिवानी लॉकडाउन से लेकर अब तक बच्चों का सहारा बनी हुई हैं। दरअसल लॉकडाउन में लौटे परिवारों और गांव में रहने वाले बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए शिवानी उनकी शिक्षिका बन गईं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Tue, 05 Jan 2021 11:06 AM (IST)Updated: Tue, 05 Jan 2021 11:06 AM (IST)
19 साल की युवती कुछ इस तरह संवार रही बच्चों का भविष्य, इस पहल की आप भी करेंगे सराहना
19 साल की युवती कुछ इस तरह संवार रही बच्चों का भविष्य।

संवाद सहयोगी, गोपेश्वर। उत्तराखंड के चमोली जिले में 19 साल की शिवानी लॉकडाउन से लेकर अब तक बच्चों का सहारा बनी हुई हैं। दरअसल, लॉकडाउन में लौटे परिवारों और गांव में रहने वाले बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए शिवानी उनकी शिक्षिका बन गईं। खुद की पढ़ाई के साथ ही वे 20 से ज्यादा बच्चों को निश्शुल्क ज्ञान बांट उनका भविष्य संवार रही हैं। उनकी इस पाठशाल को नाम दिया गया है 'मेरा घर मेरी पाठशाला'। शिवानी के इन प्रयासों की सराहना न सिर्फ ग्रामीण कर रहे हैं, बल्कि जो भी उनकी इस पहल के बारे में जान रहा है उन्हें सराहे बिना नहीं रहा पा रहा। 

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कोरोना सक्रमण के चलते लगाए गए लॉकडाउन के दौरान कई लोगों ने गांवों का रुख करना शुरू कर दिया। दशोली विकासखंड के ग्राम कठूड़ भी उन्हीं गांवों में से एक हैं। जिन लोगों ने रोजगार के लिए गांव छोड़ा था वे सभी कोरोना वायरस महामारी के दौरान शहरों से वापस गांवों की ओर चले आए। 300 से अधिक जनसंख्या वाले इस गांव में प्रवासी लौटे तो गांव गुलजार हुआ। 

इन सबके बीच कुछ ऐसे परिवार भी थे, जिनके साथ छोटे बच्चे गांव लौटे थे। स्कूलों के भी बंद होने के चलते अविभावकों को बच्चों की शिक्षा को लेकर चिंता सताने लगी। यही बात गांव की बीएससी पास शिवानी बिष्ट के मन में घर कर गई। उन्होंने बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो इसके लिए कोशिश करनी शुरू कर दी और कक्षा एक से पांच तक के नौनिहालों को गांव के ही पंचायती चौक में एकत्रित कर पढ़ाना शुरू कर दिया और इस पाठशाला का नाम पड़ गया 'मेरा घर मेरी पाठशाला'। 

गांव में बच्चों की पढ़ाई की सुविधा मिलने से अविभावक भी बेहद खुश दिखे। लॉकडाउन खुलने के बाद भी यह अभियान गांव में जारी है। हर दिन कक्षा एक से आठ तक के 20 से अधिक बच्चे 'मेरा घर मेरी पाठशाला' में पढ़कर ज्ञान बढ़ा रहे हैं। इस पाठशाला की शिक्षिका शिवानी कहती हैं कि अब तो ये उनकी दिनचर्या का हिस्सा बन गया है। वह बच्चों को उनके कक्षा के पाठ्यक्रम ही पढ़ा रही हैं। उससे खुद का भी ज्ञान बढ़ रहा है।

शिवानी ने बताया कि अबतक कई पाठ्यक्रम बदल भी चुके हैं, ऐसे में उन्हें भी बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है और बच्चों को पढ़ाने में आनंद आ रहा है। वे इस सबके बीच अपनी एमएससी की पढ़ाई के लिए भी समय निकाल लेती हैं। शिवानी के इस अभियान में अब रितिका नेगी, बबीता बिष्ट, सृष्टि बिष्ट, समेत गांव की अन्य शिक्षित युवतियां भी मदद करने लगी हैं।

वहीं, ग्राम प्रधान लक्ष्मण कनवासी ने भी शिवानी की इस पहल को खूब सराहा है। उन्होंने कहा कि ये एक अच्छा प्रयास है। इससे बच्चों को पढ़ने और आगे बढ़ने में काफी मदद मिलेगी। शिवानी के साथ अन्य युवतियां भी इस अच्छे काम के लिए आगे आ रही हैं। इसी तरह ये चेन बच्चों का भविष्य संवारेगी। 

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