सब्जी उत्पादन से बढ़ी महिलाओं की आमदनी
जागरण संवाददाता बागेश्वर परंपरागत खेती के बजाए चीराबगड़ की महिलाओं ने अब पहली बार समूह
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: परंपरागत खेती के बजाए चीराबगड़ की महिलाओं ने अब पहली बार समूह में सब्जी उत्पादन शुरू किया है। महिलाओं की मेहनत रंग लाई है। सब्जियों के अच्छे उत्पादन के साथ ही स्थानीय बाजार में इसकी अच्छी कीमत भी मिल रही है। महिलाओं ने बताया कि उन्हें सब्जी उत्पादन करने से धान की खेती से चार गुना अधिक लाभ मिला है।
ग्राम्या टू परियोजना अंतर्गत कृषि व्यवसाय टीम की प्रेरणा से चीराबगड़ की महिलाओं ने समूह के माध्यम से पहली बार सब्जी उत्पादन शुरू किया। महिलाओं ने बैगन, मिर्च, गोभी आदि सब्जियां उत्पादित की हैं। लोकल बाजार भराड़ी में अच्छे दाम में सब्जियां बेचकर महिलाएं अच्छा मुनाफा कमा रही हैं। इससे उनकी आíथक स्थिति में सुधार आया है।
ग्राम्या परियोजना के तहत किसानों को मल्चिग तकनीक, समय-समय पर प्रशिक्षण के साथ उन्नत प्रजाति के बीज और खाद उपलब्ध कराई गई। महिलाओं ने बताया कि उन्हें सब्जी उत्पादन करने से धान की खेती की अपेक्षा तीन से चार गुना अधिक फायदा हुआ। मल्चिग से गुड़ाई में समय भी खराब नहीं हुआ।
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किसानों की आय होगी दोगुनी
कृषि विशेषज्ञ रामरेख, मुकेश कुमार, नंदन बसेड़ा, विजय कुमार आदि ने कहा कि महिलाओं को खेती के लिए मार्गदर्शक की जरूरत थी और ग्राम्या टू ने चीराबगड़ में अभिनव प्रयोग किया और उसका लाभ भी किसानों को मिला है। भविष्य में भी सब्जी और बेमौसमी सब्जियों पर फोकस किया जा रहा है।
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महिलाओं को सब्जी उत्पादन में अधिक बढ़ावा देने के लिए नदी से पानी लिफ्ट कर सिचाई के लिए सोलर पंप की व्यवस्था की जा रही है। सब्जी उत्पादन स्वरोजगार का अच्छा जरिया है। सब्जी उत्पादन से महिलाएं आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
-नरेश बिनवाल, टीम लीडर, कृषि व्यवसाय।