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अस्पताल खुद बीमार, खतरे में मरीजों की जान

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जिले में चिकित्सकीय व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। अस्पताल में वि

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Jan 2019 04:40 PM (IST)Updated: Thu, 31 Jan 2019 04:40 PM (IST)
अस्पताल खुद बीमार, खतरे में मरीजों की जान
अस्पताल खुद बीमार, खतरे में मरीजों की जान

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : जिले में चिकित्सकीय व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सक तो मौजूद हैं लेकिन उनके काम करने के लिए कोई भी चिकित्सकीय सुविधाएं नही है। हाल यह है कि ऑपरेशन थियेटर में ना तो उचित उपकरण है, ना स्टाफ और ना ही दवाइयां। इससे हमेशा मरीजों की जान खतरे में रहती है। अस्पताल की दयनीय हालात को कई बार सरकार तक पहुंचाने के बाद भी समाधान नहीं निकलने पर चिकित्सक इस्तीफे देने को मजबूर हो गए हैं।

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मुख्यालय का जिला अस्पताल जहां जिले के अलावा गढ़वाल क्षेत्र के चमोली से भी लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं, लेकिन उचित इलाज नहीं मिलने पर अक्सर मरीज हायर सेंटर ही रेफर हो जाते हैं। जिला अस्पताल में फिलहाल चिकित्सकों की कोई कमी नहीं है। अस्पताल में एक जनरल सर्जन, एक आर्थोपेडिक, दो निश्चेतक, ईएनटी सर्जन, एक बाल रोग विशेषज्ञ व फीजिशियनों की टीम भी है, लेकिन चिकित्सकीय सुविधाओं के अभाव में चिकित्सक इलाज करने में असमर्थ हैं। कुछ विशेषज्ञ चिकित्सक अपना पैसा खर्च कर मरीजों का इलाज कर रहे हैं, लेकिन अब हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन ने कई बार इस संबंध में सरकार को अवगत कराया, लेकिन समस्या का समाधान नहीं निकला। जिससे मजबूर होकर डाक्टर सरकारी अस्पतालों में सेवाएं देने में असमर्थ होने लगे हैं।

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ऑपरेशन थियेटर में ना औजार, ना स्टाफ

फोटो:-30बीएजीपी05

जिला अस्पताल में गंभीर मरीजों के आपरेशन करने में चिकित्सक असमर्थ हैं। आपरेशन थियेटर में मरीज व चिकित्सक के लिए वर्दी की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां एक हीटर भी मौजूद नही हैं। स्टाफ की भारी कमी से ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकों को दिक्कतें आती हैं। चिकित्सकों ने बताया कि ऑपरेशन करने के लिए औजार तक नही हैं। ऐसे में कैसे सर्जरी होगी। अगर सर्जरी के दौरान कोई हादसा हो गया तो इसकी सीधे जिम्मेदारी डॉक्टर पर डाल दी जाएगी। ऐसे में कौन रिस्क लेगा।

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अस्पताल में नहीं हो रही लेप्रोस्कोपी

फोटो---30बीएजीपी03---

लेप्रोस्कोपी आधुनिक सर्जरी की विधा हैं। यह शल्य चिकित्सा बिना चीर फाड़ के दूरबीन के जरिए किया जाता है। जिला अस्पताल में इसके लिए विशेषज्ञ सर्जन राजीव उपाध्याय मौजूद हैं। दो साल पहले वह यहां आएं, लेकिन लेप्रोस्कोप उपकरण नहीं होने के कारण वह यह शल्य चिकित्सा नहीं कर रहे हैं। मरीजों को भी इसका लाभ नही मिल रहा हैं। डॉ. राजीव उपाध्याय का कहना है कि लेप्रोस्कोप के लिए चिकित्सा प्रबंधन से मांग की थी लेकिन यह सुविधा आज तक नहीं मिली। ऐसे में मरीजों को क्या लाभ मिलेगा। रुटीन में ऑपरेशन भी नहीं होते हैं। चिकित्सकीय उपकरणों व सुविधा की भारी कमी है। बस नसबंदी व नलबंदी तक ही काम रह गया है।

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प्लास्टर तक बाहर से लाते हैं मरीज

--30बीएजीपी02

जिला अस्पताल को वर्षो बाद आर्थोपैडिक सर्जन डॉ. जीएस जोशी मिले। इससे पूर्व वह राम मनोहर लोहिया अस्पताल दिल्ली में कार्यरत थे। इसके बाद लगा की मरीजों की समस्या कुछ कम होगी लेकिन यह समस्या जस की तस बनी हुई हैं। प्लास्टर करने तक के लिए जरुरी सामग्री मरीजों को बाहर से लानी पड़ती हैं। एक्स-रे मशीन खराब पड़ी हुई हैं। डॉ. जीएस जोशी ने बताया कि अक्सर मरीजों को रेफर ही करना पड़ता है।

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बेहोशी की व्यवस्था नहीं होने से आपरेशन ठप

फोटो---30बीएजीपी01

अगर किसी मरीज का सर्जरी करना होता है तो उसके लिए ऑपरेशन थियेटर में वेंटिलेटर होना जरुरी है, लेकिन अस्पताल में ऐसा कुछ नहीं है। मरीजों को सर्जरी से पहले बेहोश करने की जरुरत होती है, लेकिन उपकरण व दवाएं नहीं होने के कारण ऑपरेशन ही नहीं होते हैं। कुछ ऑपरेशन हो रहे है वह सुन्न करके किए जा रहे हैं। निश्चेतक डॉ. एचसी भट्ट ने कहा कि जिला मुख्यालय में दो-दो निश्चेतक हैं, लेकिन उनका कोई उपयोग ही नहीं हो रहा है।

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जिला अस्पताल में चिकित्सकीय सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है। चिकित्सकों की कमी नहीं है। सरकार की ओर से हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं ताकि मरीजों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत ना हो।

-डॉ. जेसी मंडल, मुख्य चिकित्साधिकारी, बागेश्वर


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