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मुकदमे दर्ज कर आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर रही सरकार

जागरण संवाददाता बागेश्वर राज्य बनने के 19 साल बाद सरकार मूलभूत समस्याओं का समाधान करने मे

By JagranEdited By: Published: Wed, 26 Jun 2019 11:10 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 06:35 AM (IST)
मुकदमे दर्ज कर आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर रही सरकार
मुकदमे दर्ज कर आपातकाल जैसी स्थिति पैदा कर रही सरकार

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : राज्य बनने के 19 साल बाद सरकार मूलभूत समस्याओं का समाधान करने में तो असफल रही लेकिन वह घर-घर तक शराब पहुंचाने में जरूर सफल होते दिखाई दे रही है। वह सुनियोजित तरीके से शराब विरोधी आंदोलन को कुचलने में भी रही है। आंदोलनकारी इसे राज्य में आपातकाल जैसी स्थिति बताते हुए एक बार फिर सरकार के इस षडयंत्र का जवाब देने के लिए एकजुट होने लगे हैं। लगभग चार दशक पूर्व 1984 में अल्मोड़ा जिले के छोटे से गांव बसभीड़ा से उत्तराखंड संघर्ष वाहिनी सहित कई जन संगठनों ने नशा नहीं रोजगार दो आंदोलन शुरू किया। लंबे संघर्षो के बाद सरकार ने अल्मोड़ा जिले में आंशिक मद्य निषेध लागू किया। तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने दस वर्ष की आंशिक नशाबंदी के बाद 1994 में मुलायम सिंह यादव ने उत्तराखंड में शराब बंदी समाप्त कर दी। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद लगा की सरकार आम लोगों की इस पीड़ा को समझेगी और इस ओर ध्यान देगी, लेकिन सरकार राज्य बनने के 19 वर्ष बाद पूरी तरह शराब माफियाओं के चुंगल में फंस गई। शराब की दुकान हो या बार खोलना बहुत आसान कर दिया। आज हर जिले में एक दर्जन कहीं तो दो दर्जन से भी अधिक बार ही है। शराब की दुकान अलग से। शराब की दुकानों से भी सरकार का राजस्व हर साल बढ़ने लगा है। इससे यह साबित होता है कि प्रदेश में शराब पीने वालों की संख्या भी लगातार बढ़ने लगी हैं। इस नशे के कारोबार में युवा पीढ़ी भी फंसते जा रही है। कई घर बर्बाद हो गए। जिन लोगों ने शराब के विरोध में आंदोलन किया उस पर सरकार ने मुकदमे लगाकर जेल भेज दिया। इस साल जब 2019 में शराब की दुकानों का आवंटन हुआ तो कहीं भी विरोध के स्वर मुखर नहीं हुए। हर साल शराब के विरोध में आंदोलन कर रही महिलाओं पर मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं। लगातार ऐसे मामले बढ़ रहे है। जिसके बाद सभी जन संगठनों एक बार फिर सरकार की नीतियों के खिलाफ आंदोलन करने का निर्णय लिया हैं। --

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आंदोलनकारियों के साथ इस तरह का व्यवहार दुर्भाग्यपूर्ण है। यह भी एक आपातकाल जैसी ही स्थिति है। जब तक पूरे प्रदेश में सरकार मद्य निषेध नहीं करती तब तक आंदोलन जारी रहेगा। -पीसी तिवारी, आंदोलनकारी व केंद्रीय अध्यक्ष उपपा


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