भिक्षावृत्ति ने छीना मासूमों का बचपन
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: भले ही शासन व प्रशासन जिले में बाल भिक्षावृत्ति नहीं होने की बात कह रहा ह
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: भले ही शासन व प्रशासन जिले में बाल भिक्षावृत्ति नहीं होने की बात कह रहा हो। लेकिन हकीकत इसके उलट है। सिर्फ जिला मुख्यालय में ही लगभग आधा दर्जन बच्चे सड़कों पर भीख मांगते आसानी से दिख जाएंगे।
बाल भिक्षावृत्ति के बारे में जागरण ने बीते फरवरी माह में भी प्रमुखता से खबर प्रकाशित की। जिसके बाद प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बच्चों के भीख मांगने पर प्रतिबंध का हवाला देते हुए उन्हें भगा दिया। जिसके बाद उन्होंने दावा किया कि मुख्यालय में कोई भी बच्चा भीख नहीं माग रहा है। लेकिन दावों के उलट अभी भी कई बच्चे शहर के व्यस्त तिराहों, झूला पुल, बागनाथ परिसर आदि जगहों पर भीख मांगते आसानी से दिखाई दे रहे हैं। यह सब बच्चों के प्रति प्रशासन की संवेदनहीनता दिखाने के लिए काफी है। ============== 10 से 12 साल के हैं मासूम
बागेश्वर: पुल पर भीख मांग रहे बच्चों से जब जागरण संवाददाता ने बात की तो सारी हकीकत पता चली। तीन बच्चे और तीन अन्य भीख मांगते हुए दिखाई दिए। उन्होंने अपना नाम, घर का पता समेत सारी जानकारी दी। अधिकतर बच्चे बरेली व आसपास के क्षेत्रों से यहां पहुंचे। साथ में मौजूद महिला बात करने के लिए लगातार मना करती रही। महिला से जब बच्चों से संबंध पूछा तो उसने पोते व पोती बताया। भीख मांगने का कारण बताया कि मांगेंगे नहीं तो क्या खाएंगे। जबकि साथ मे मौजूद युवक ने छोटी लड़की को भतीजी व दोनों बच्चों को अपना भाई बताया। =========== चाइल्ड ट्रैफि¨कग की भी संभावना बागेश्वर: पुलिस विभाग के पास भी भीख मांग रहे इन बच्चों की कोई जानकारी नहीं है। ऐसी भी संभावना जताई जा रही है कि यह बच्चे चाइल्ड ट्रैफि¨कग का शिकार हो सकते हैं। ========== पांच साल जेल व जुर्माने का है प्रावधान
बागेश्वर: किशोर न्याय अधिनियम की धारा 76 के अनुसार मासूम बच्चों से भीख मंगवाने पर आरोपित को पांच साल तक की जेल व एक लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है। किशोर न्याय बोर्ड के विधि अधिकारी संतोष कुमार जोशी ने बताया कि बालकों की देखरेख व संरक्षण अधिनियम में बच्चों को दिव्यांग बनाने पर 10 साल तक की जेल व पांच लाख रुपए जुर्माने का प्रावधान है। -------- जिले में वर्तमान समय में भीख मांगने वाले कोई बच्चे नहीं है। बच्चों से भीख मंगवाना कानूनन जुर्म है। जिन बच्चों के मां-बाप उन्हें पढ़ाने में सक्षम नहीं हैं, उनके लिए विभाग पढ़ाई की व्यवस्था करता है।
-तारा चंद्र उप्रेती, अध्यक्ष बाल कल्याण समिति, बागेश्वर