सिमगड़ी चाय बागान 32 महिलाओं को बना रहा आत्मनिर्भर
बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के बॉर्डर पर स्थित सिमगड़ी गांव की महिलाओं के लिए चाय बागान रोजगार का साधन बनते जा रहे है।
जासं, बागेश्वर : बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिले के बॉर्डर पर स्थित सिमगड़ी गांव की महिलाओं के लिए चाय बागान रोजगार का साधन बनते जा रहा है। यहां की 32 महिलाएं इस बागान से आत्मनिर्भर बन गई हैं। उन्हें हर महीने 18 से 20 दिन काम मिलता है, लेकिन बारिश के तीन महीनों में 28 दिन का काम मिल जाता है। उन्हें 316 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से पारिश्रमिक भी मिलता है। सुबह और शाम महिलाएं अपनी खेती-बाड़ी आदि करतीं हैं। अलबत्ता उनकी आय बढ़ रही है और अन्य गांवों की महिलाएं भी प्रेरित हो रही हैं।
उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड ने सिमगड़ी में 1994 में चाय बागान स्थापित किया। इसे स्थापित करने में उत्तराखंड के पूर्व प्रमुख सचिव आरके टोलिया तथा राज्य आंदोलनकारी गंगा सिंह पांगती की भूमिका अहम रही है। अब यह बागान यहां की महिलाओं के लिए वरदान साबित हो रहा है। इस दिनों बागान चाय की खेती से लहलहा रहा है। महिलाएं खरपतवार निकालने में लगी हैं। इस काम में पुरष भी लगे हैं, लेकिन महिलाओं को अधिक रोजगार मिला है। गंगा सिंह ने बताया कि सिमगड़ी में रहने वाले अधिकतर लोग इसी काम से जुड़े हैं। महिलाएं खेती किसानी के साथ चाय बागान का भी काम सीख गई हैं। एक महिला पांच से सात हजार रुपया प्रति महीना कमा लेती है। कुछ महिलाओं ने इसी काम से अपने बच्चों को उच्च शिक्षा तक दिला दी है। उन्होंने बताया कि एक समय था जब उत्तराखंड की चाय की धमक पूरे विश्व में थी। आज सरकार की उदासीनता के चलते इसमें कमी आई है। फिर भी यहां की जलवायु चाय उत्पादन के लिए मुफीद है। उन्होंने सरकार से यहां चाय फैक्ट्री स्थापित करने की मांग की है। फैक्ट्री लगने से और अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। -वर्जन-
चाय बागान महिलाओं को स्वरोजगार दे रहा है और पहाड़ की मिट्टी, आबोहवा भी चाय के लिए बेहतर है। चाय फैक्ट्री आदि लगाने के लिए शासन को पत्र भेजा जाएगा। हरीनगरी में चाय फैक्ट्री संचालित की जा रही है।
-डीडी पंत, सीडीओ बागेश्वर।