सात महीने से जंगलों की खाक छान रहे कुंवारी के ग्रामीण
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : मार्च 2018 से कुंवारी गांव का पहाड़ दरक रहा है। 106 परिवार
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : मार्च 2018 से कुंवारी गांव का पहाड़ दरक रहा है। 106 परिवार पांच महीने से जंगलों की खाक छान रहे हैं। सरकारी सिस्टम ने उन्हें खानाबदोश की ¨जदगी बिताने को छोड़ दिया है। अलबत्ता गांव के लोगों को पुर्नवास की अभी भी आश है। कुंवारी गांव 16 जून 2013 से भूस्खलन की चपेट में है। इसमें स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र पूरी तरह से ध्वस्त हो गए थे। कुछ लोगों ने तब गांव छोड़ दिया। वे बागेश्वर, कपकोट, थराली आदि स्थानों पर बच्चों को पढ़ा रहे हैं। लेकिन गांव में फिर भी 106 परिवार रह गए। 18 मार्च 2018 से कुंवारी गांव के ऊपर का पहाड़ भी दरकने लगा। बोल्डर और मलबे ने उनके गांव का अस्तित्व ही मिटा दिया। तब से वे जंगल, टेंट और छप्परों में रहने को मजबूर हैं। --------- मवेशी पाल कर रहे गुजर-बसर कुंवारी गांव के लोग मवेशी पालकर गुजर-बसर कर रहे हैं। भैंस, गाय, बकरी पालकर वे जरूरी सामान आदि के लिए रुपये जुटा रहे हैं। रोजगार भी पूरी तरह खत्म हो गया है। मनरेगा की मजदूरी भी उन्हें एक साल से नहीं मिल सकी है। ---------- कुंवारी अब रहने लायक नहीं रहा कुंवारी के प्रधान किशन ¨सह दानू ने बताया कि कुंवारी अब रहने लायक नहीं रहा। चारों तरफ से भूस्खलन हो रहा है। ऊपर से पहाड़ दरक रहा है। भू-वैज्ञानिकों की जांच भी हुई। उन पर प्रेसर बनाया गया। अभी तक विस्थापन नहीं हो सका है। ---------- कुंवारी में खेती चौपट कुंवारी की खेती पूरी तरह चौपट हो गई है। खेत मलबे से लबालब भर गए हैं। शंभू नदी ¨सचाई वाले खेतों को बहा ले गई। आलू, राजमा, चौलाई, ओगल और मडुवा पूरी तरह तबाह हो गया है। ------------ ग्रामीण बोले कब होगा विस्थापन ग्रामीण केदार ¨सह दानू, महेंद्र ¨सह, मान ¨सह देव, खीम ¨सह, दीवान राम, हयात राम ने कहा कि उनका गांव तबाह हो गया है। स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, रास्ते पूरी तरह बर्बाद हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वे खानाबदोश की जैसी ¨जदगी बिता रहे हैं।
............. भू-वैज्ञानिक से कुंवारी गांव की जांच कराई गई। वाडिया इंस्टीट्यूट से जांच कराने को शासन को पत्र लिखा गया है। 18 लोगों को चार हजार रुपये प्रतिमाह किराया दिया जा रहा है। पुर्नवास की प्रक्रिया चल रही है। -रंजना राजगुरु, डीएम, बागेश्वर