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लोगों ने सरकारी तंत्र को दिखाया आईना, श्रमदान कर खेतों में पहुंचाया पानी

बागेश्वर जिले के रिठाड़वासियों ने सभी के लिए एक मिसाल पेश की है। उन्होंने सरकारी तंत्र को आईना दिखाते हुए श्रमदान कर अपने खेतों में पानी पहुंचाया है।

By raksha.panthariEdited By: Published: Sun, 05 Nov 2017 07:16 PM (IST)Updated: Sun, 05 Nov 2017 09:05 PM (IST)
लोगों ने सरकारी तंत्र को दिखाया आईना, श्रमदान कर खेतों में पहुंचाया पानी
लोगों ने सरकारी तंत्र को दिखाया आईना, श्रमदान कर खेतों में पहुंचाया पानी

बागेश्वर, [जेएनएन]: हिम्मत गर बुलंद हो तो मंजिल पाना आसान है। जी हां इस लाइन को साकार कर दिखाया है रिठाड़ गांव के लोगों ने। जिन्होंने बिना सरकारी मदद के गरुड़ नदी में खुद तटबंध बनाया, जबकि कुछ लोगों ने नहर की सफार्इ की। लोगों की मेहनत का ही नतीजा रहा कि कुछ घंटों की मेहनत के बाद खेतों में पानी पहुंच गया।  

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बागेश्वर के रिठाड़ वासियों ने उन लोगों के लिए मिसाल पेश की है, जो आज भी छोटे-छोटे कार्यों के लिए सरकार का मुंह ताकते हैं। रिठाड़ के ग्रामीणों ने श्रमदान के जरिए सूख रहे खेतों तक पानी पहुंचाकर अधिकारियों को आइना दिखाने का काम किया है। 

दरअसल, तहसील की देवनाई घाटी में स्थित रिठाड़ के ग्रामीणों ने ग्राम पंचायत की मदद से दस-पन्द्रह साल पहले फसलों की सिंचाई के लिए गरुड़ नदी से रिठाड़ सेरे तक नहर का निर्माण किया। पिछले एक साल से नहर देखरेख के अभाव में बंजर पड़ी थी और गरुड़ नदी पर बना नहर का तटबंध भी बह गया था। बरसात के सीजन में मानसून आने से ग्रामीणों ने जैसे-तैसे रोपाई कर ली, लेकिन इस बीच लंबे समय से बारिश नहीं होने से खेत सूख गए। गेहूं की बुवाई करना तो दूर खेतों में हल चलाना तक मुश्किल हो गया। 

इससे आहत रिठाड़ के सरपंच अर्जुन राणा के नेतृत्व में ग्रामीण एकत्र हुए। ग्रामीणों ने बैठक कर सरकारी मदद नहीं लेने और श्रमदान करने का ऐलान किया। फिर क्या था, कुछ ग्रामीण गरुड़ नदी में तटबंध बनाने में जुट गए। जबकि कुछ ग्रामीण बंजर पड़ी नहर की सफाई करने लगे। महज चार घंटे के श्रमदान के बाद आखिर उनके खेतों तक पानी पहुंच गया। आज रिठाड़ गांव के सेरे में सिंचाई होने लगी है। लोग सब्जी पैदा करने और गेहूं बुवाई का कार्य भी करने लगे हैं।

वहीं रिठाड़ गांव के श्रमदान की चर्चा पूरी कत्यूर घाटी में हो रही है। ग्रामीणों ने सरकार का मुंह ताकने की बजाय सरकारी तंत्र को आइना दिखाने का कार्य किया है और मिसाल पेश की है कि अगर आम आदमी कुछ भी ठान ले तो वह उसे पूरा कर ही रहता है। 

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