इबादत, रहमत और बरकत का पाक महीना रमजान
जागरण संवाददाता बागेश्वर रमजान का मुकद्दस (पवित्र) महीना शुरू हो गया है। आज दूसरा रोजा ह
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : रमजान का मुकद्दस (पवित्र) महीना शुरू हो गया है। आज दूसरा रोजा है। रमजान के पाक महीने में खुदा के बंदे उसकी इबादत करते हैं। मस्जिदों और घरों से कुरान शरीफ की तिलावत की आवाज आनी शुरू हो जाती है।
जामा मस्जिद के पेश इमाम मोहम्मद जुबैद कासमी ने बताया कि रमजान का महीना मुस्लिम भाइयों के लिए महत्वपूर्ण है। माहे रमजान में रहमतें फरमाई जाती हैं। रोजा फर्ज किए जाते हैं। जितनी इबादत करेंगे वह बेहतरी के लिए होगा। लोगों से मिलने-जुलने का महीना है। उनके साथ उठे-बैठें और मदद करे। हिदू और अन्य धर्म के सभी लोग रोजा इफ्तार पार्टी करते हैं। खासतौर पर संदेश है कि सभी मिल जुलकर प्यार, मोहब्बत के साथ सभी भेदभाव दूर करें। प्यास की शिद्दत, भूख की तड़प, गर्मी की तपिश होने के बाद भी एक रोजेदार खुदा का शुक्रिया अदा करता हैं। रोजेदार के सामने दुनिया की सारी अच्छी चीजें रखी हों पर वो खुदा के बिना इजाजत के उसे हाथ तक नहीं लगाता। यही सब चीजें एक रोजेदार को खुदा के नजदीक लाती हैं। यह महीना रहमत और बरकत का भी है। महीने में तरावी व कुरान की तिलावत नमाज पढ़ी जाती है। रोजेदार को इफ्तार करना चाहिए यह बहुत शवाब का काम है। सब्र का महीना है लोगों को गुनाहों से तौबा करनी चाहिए। रोजे रखना हर मुस्लमान के लिए सुन्नत है।
उन्होंने कहा कि मुसलमानों के लिए यह इंतेहान का महीना है, इसमें जो पास हो गया तो समझो उसने अल्लाह की रजा हासिल कर ली।