नेपाली श्रमिकों की दिक्कतें बढ़ी, कॉल दर बढ़ने से निराश
नेपाल मूल के श्रमिक जिले में काफी संख्या में हैं। अब इन्हें रेट बढ़ने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जासं, बागेश्वर: नेपाल मूल के श्रमिक जिले में काफी मात्रा में हैं। वह यहां बजरी, रेता और बोझ आदि उठाने का काम करते हैं। इसके अलावा होटल, रेस्टोरेंट और अन्य लघु उद्योगों में भी काम करते हैं। लॉकडाउन के बाद वह घर की राह देख रहे हैं। लेकिन उन्हें अनुमति नहीं मिल पा रही है। जबकि दूरसंचार ने कॉल दरों में बढ़ोत्तरी कर दी है, जिससे उनकी घर भी बात नहीं हो पा रही है।
जिले के गरुड़, कपकोट, बागेश्वर, काफलीगैर, कांडा, दुग नाकुरी, शामा, धरमघर आदि क्षेत्रों में नेपाली श्रमिक लंबे समय से रह रहे हैं। वह यहां तमाम तरह का काम करते हैं और मजदूरी कमा कर नेपाल लौट जाते हैं। 22 मार्च से लॉकडाउन घोषित होने के बाद वे परेशान हैं। अधिकतर मजदूरों के पास काम भी नहीं है। वह मार्च माह के अंत तक घर वापस हो जाते थे। नेपाल मजदूर मन बहादुर, नर बहादुर, दन बहादुर, प्रेम बहादुर, चंद्रशेखर खड़का आदि ने कहा कि मोबाइल से वे घर पर बात करते थे, लेकिन कॉल दर बढ़ गई हैं। प्रति मिनट कॉल दर 12 रुपये हो गई है। उनके पास पैसा भी नहीं है। कहा कि कुमाऊं से नेपाल जाने के लिए धारचूला, झूलाघाट, बनबसा के पुल कर पार नेपाल पहुंचा जा सकता है। लेकिन तीनों पुल बंद हैं। इधर, डीएम रंजना राजगुरु ने बताया कि जिले विभिन्न कस्बों में नेपाली श्रमिक हैं। प्रशासन ने उन्हें रसद सामग्री उपलब्ध कराई है। चंपावत के डीएम से रोज बात होती है। नेपाल सरकार से अनुमति मिलने पर ही नेपाली श्रमिकों को यहां से भेजा जाएगा।