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नाशपाती का बढ़ा कारोबार, काश्तकार हुए मालामाल

जागरण संवाददाता बागेश्वर गरुड़ ब्लाक में नाशपाती क्षेत्र के लोगों के लिए स्वरोजगार का मुख्य

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Aug 2019 10:47 PM (IST)Updated: Mon, 26 Aug 2019 10:47 PM (IST)
नाशपाती का बढ़ा कारोबार, काश्तकार हुए मालामाल
नाशपाती का बढ़ा कारोबार, काश्तकार हुए मालामाल

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : गरुड़ ब्लाक में नाशपाती क्षेत्र के लोगों के लिए स्वरोजगार का मुख्य उत्पादन बनते जा रहा हैं। यहां की 6 सहकारी समितियों ने इस वर्ष 123.74 टन नाशपाती का उत्पादन कर दो लाख 56 हजार से अधिक का लाभ किया। नाशपाती के बाजार में डिमांड को देखते हुए काश्तकारों काफी खुश नजर आ रहे हैं। कुछ वर्ष पहले तक नाशपाती का क्षेत्र में कोई मूल्य नहीं मिलता था। इसलिए यह पेड़ों पर ही सड़ जाया करती थी। बाहर से आए व्यापारी कुछ नाशपाती खरीदते थे। जिनका काश्तकारों को उचित मूल्य नही मिलता था। एक कट्टे यानि 35 किलो के 15 से 35 रुपये तक मिलता था। जिसके बाद काश्तकारों ने नाशपाती की ओर ध्यान देना बंद कर दिया। काश्तकारों की आय को दोगुना करने के उद्देश्य से एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना ने इस पर कार्य करना शुरु किया। तीन साल पूर्व तीन उत्पादक समूहों को जोड़ा गया। 2016 में केवल 5 टन नाशपाती ही बेचा गया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। उन्होंने उत्पादक समूहों को जागरूक किया और संग्रहण, विक्रय, ग्रेडिग की तकनीकियों को बताया। 2015 में नाशपाती का विक्रय 40 टन पहुंच गया। तीन साल में ही इसके अच्छे परिणाम दिखाई दिए। इस वर्ष अगस्त माह में 6 सहकारिता समितयों दिव्येश्वरी, पिगलेश्वर, बैजनाथ, संजीवनी, हिमगिरी, अन्नपूर्णा के माध्यम से 60 टन लक्ष्य के अनुरुप 123.74 टन नाशपाती का उत्पादन कर विक्रय किया गया। इस काम को अंजाम दिया 6 समितियों के 54 समूहों के 132 सदस्यों ने। इस वर्ष 256988 रुपए का प्रत्यक्ष लाभ सहकारिता को हुआ। भाड़ा, ढुलान, वारदाना, मजदूरी लगाकर इस वर्ष लाभ 62243 रुपए का शुद्ध लाभ हुआ। अब नाशपाती 173 रुपया कट्टा आसानी से बिक रही हैं। नाशपाती से मिली इस सफलता से काश्तकार काफी खुश है। ......

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संजीवनी सहकारिता रही अव्वल इस वर्ष संजीवनी आजीविका संघ ने दो लाख 33 हजार से अधिक का नाशपाती का उत्पादन कर विक्रय किया। सहकारिता को 25995 रुपए का शुद्ध लाभ हुआ। जो ब्लाक की 6 सहकारिता समितियों में सबसे अधिक हैं। ---

काश्तकारों को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। जिनके माध्यम से काश्तकारों की आय दोगुनी की जा रही हैं। -धर्मेंद्र कुमार पांडे, परियोजना प्रबंधक, एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना


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