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नुमाइशखेत मैदान पर सियासत

जागरण संवाददाता बागेश्वर ऐतिहासिक नुमाइशखेत मैदान पर व्यक्तिगत हक को लेकर जंग शुरू हो

By JagranEdited By: Published: Wed, 24 Apr 2019 08:46 AM (IST)Updated: Wed, 24 Apr 2019 08:46 AM (IST)
नुमाइशखेत मैदान पर सियासत
नुमाइशखेत मैदान पर सियासत

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : ऐतिहासिक नुमाइशखेत मैदान पर व्यक्तिगत हक को लेकर जंग शुरू हो गई है। आरटीआइ के जरिए हुए खुलासे के बाद पालिका की नींद उड़ गई है। पालिका के पास नुमाइशखेत मैदान के कोई कागजात नहीं होने के कारण उसके गले की फांस बन गई है। जबकि साह परिवार ने मैदान में नाप भूमि के दस्तावेज जुटाने शुरू कर दिए हैं और दस्तावेजों में उनकी भूमि भी निकल आई है। ऐसे में पालिका को मैदान से हर साल होने वाली लाखों की आय पर भी ग्रहण लगने की आशंका जताई जा रही है।

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नुमाइशखेत मैदान पर सियासत शुरू हो गई है। करीब 50 साल से अधिक समय से मैदान पर पालिका का कब्जा है। विवाद तब गहराया जब पालिका ने नुमाइशखेत जाने वाले रास्ते पर गेट लगाकर उसे आम लोगों के लिए बंद कर दिया। स्थानीय आरटीआइ कार्यकर्ता शंकर सिंह हरड़िया ने आरटीआइ के तहत सूचना मांगी तो पालिका भी चौक गई। आरटीआइ के अनुसार नुमाइशखेत की भूमि में साह परिवार के नाम खेत भी हैं। इसके अलावा कमिश्नर खादी ग्रामोद्योग बोर्ड के नाम भी दस नाली भूमि है। पालिका से मांगी गई आरटीआइ में उसने मैदान के कोई दस्तावेज नहीं होने का दवा किया है। ऐसे में नुमाइशखेत के लिए हक की जंग शुरू हो गई है।

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खतौनी में इनके नाम

रजिस्ट्रार कानूनगो के दफ्तर से प्राप्त खाता-खतौनी में जयसुंदरी, जयशंकर के नाम नुमाइशखेत मैदान की भूमि अंकित है। उनके स्वर्गवास के बाद पुष्कर साह, हेमा साह, चेतन साह, प्रमोद साह, प्रेमा साह, पूरन लाल, विजय लाल, दीपक लाल, चिरंजी लाल, अनुपम, शरद साह, परसी लाल आदि के नाम पर यह भूमि चढ़ी है।

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आरटीआइ में यह भी खुला

पुष्कर लाल साह को पालिका से मिले आरटीआइ में खुलासा हुआ कि नुमाइशखेत गेट निर्माण आदि की पालिका के पास कोई संस्तुति भी नहीं थी।

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आपसी सहमति बने

विधायक चंदन राम दास ने कहा कि नुमाइशखेत के मसले को लेकर आपसी सहमति बनाई जाए। नगर पालिका का सिर्फ मैदान पर कब्जा है जबकि मंदिर गूंठ, साह परिवार और अन्य लोगों की भूमि कागजों में दर्ज है। जनहित भी प्रभावित नहीं होना चाहिए और रास्ता बनाया जा सकता है।

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नुमाइशखेत मैदान पालिका को दान में दिया गया है। पालिका का मैदान पर 50 से अधिक सालों से कब्जा है। व्यक्तिगत स्वार्थ साधा जा रहा है। वाहन आदि के लिए रास्ता बनने से मैदान के अस्तित्व को खतरा होगा।

-राजदेव जायसी, ईओ, बागेश्वर


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