जंगल बगल में क्वारंटाइन सेंटर में दरवाजे नहीं
नैनीताल जिले के बेतालघाट के क्वारंटाइन सेंटर में एक बच्ची की मौत की दुखद सूचना आने के बाद भी प्रशासन ने सबक नहीं लिया है।
संवाद सूत्र, गरुड़: नैनीताल जिले के बेतालघाट के क्वारंटाइन सेंटर में एक बच्ची की मौत की दुखभरी घटना के बाद भी शासन-प्रशासन नहीं जागा है। कई फैसेलिटी क्वारंटाइन सेंटर अभी भी बदहाल हैं। जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। अब सवाल यह है कि जब सरकार व्यवस्था करने में नाकाम थी तो प्रवासियों को बुला ही क्यों रही हैं।
तहसील के राजकीय प्राथमिक विद्यालय जिनखोला स्थित क्वारंटाइन सेंटर के एक भवन में न दरवाजा और न खिड़की। परदे लटक रहे थे। जानकारी लेने पर पता चला कि इस सेंटर में कुल ग्यारह प्रवासी क्वारंटाइन हैं।आठ प्रवासी 23 मई की रात को आए। उनके लिए तो ठीक-ठाक कमरे हैं। तीन प्रवासी 25 मई को आए। उन्हें एक खस्ताहाल भवन में ठहराया गया। उन्होंने घर से एक धोती मंगाई और उन्हें दरवाजे व खिड़की पर लटकाकर डर-डरकर पहली रात काटी। अब उन्हें बिना दरवाजे के ऐसे भवन में रात बिताने में काफी डर लग रही है।
जिनखोला में है जंगली जानवरों का खतरा
गरुड़: जिनखोला गांव आपदा की ²ष्टि से भी बेहद संवेदनशील है। यहां आए दिन गुलदार, सुअर सहित कई जंगली जानवरों का भय बना रहता है। गुलदार यहां कई मवेशियों को अपना निवाला बना चुका है और आये दिन गांव में खुलेआम घूमता नजर आता है। प्रवासी चंद्रशेखर खोलिया ने बताया कि जब वे 23 मई की रात में यहां आए तो उन्हें सामने गुलदार दिखाई दिया। बिना दरवाजा व खिड़की के रह रहे प्रवासी शंकर राम (40), शंकर लाल (34) व आनन्द राम (22) ने बताया कि पहली रात उन्होंने डर-डरकर बिताई। दो शौचालयों का प्रयोग कर रहे हैं 11 प्रवासी
गरुड़: क्वारंटाइन सेंटर जिनखोला में मात्र दो शौचालय हैं। जिनका प्रयोग वहां रह रहे 11 प्रवासी कर रहे हैं। ---जिस कमरे में तीन प्रवासी रह रहे हैं, उसमें लाइट नहीं है।उन्होंने जैसे-तैसे लाइट की व्यवस्था की। उन्होंने बताया कि ड्यूटी में लगाए गए लोग फोन पर जानकारी पूछ ले रहे हैं, फोटो मंगा ले रहे हैं। लेकिन सेंटर पर कोई नहीं आ रहा है। कोई स्वास्थ्य परीक्षण करने नहीं आया।
मंजू बोरा, प्रधान जिनखोला