चांचरी की धूम के साथ नंदा महोत्सव का समापन
जागरण संवाददाता बागेश्वर बदियाकोट और सोराग में आयोजित नंदा महोत्सव का रंगारंग समापन हो
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : बदियाकोट और सोराग में आयोजित नंदा महोत्सव का रंगारंग समापन हो गया है। स्थानीय महिलाओं ने पारंपरिक परिधान में चांचरी का आयोजन किया और मां भगवती को विदाई दी। पुरुषों ने हुड़के की थाप पर महिलाओं के गायन में जान फूंकी। मां भगवती के देव डांगरों ने श्रद्धालुओं को आशीर्वाद दिया।
यहां लगने वाले नंदा महोत्सव में पिडर घाटी क्षेत्र का पहनावा और संस्कृति का संगम होता है। महिलाएं रातभर मां भगवती को प्रसन्न करने के लिए झोड़ा और चांचरी का गायन करतीं हैं और उनकी आवाज को हुड़के की थाप पुरुष देते हैं। पुरुष-महिलाएं एक स्वर में चांचरी का गायन करती हैं। सोराग गांव के दिनेश सोरागी ने कहा मां भगवती को ब्रहमकमल का पुष्प बहुत प्रिय होता है। जिसके चलते महोत्सव की शुरुआत उन्हें पुष्प अर्पण करने से होती है। गांव के सुदूरवर्ती बुग्याल नंदा कोट में यह दुर्लभ पुष्प पाया जाता है। जिसे लाने के लिए ग्रामीण एक दिन पूर्व चले जाते हैं। महोत्सव शुरू होने की सुबह श्रद्धालु पुष्प लेकर लौटते हैं। इधर, गांवों से महिलाओं मां को भेंट देने के लिए विभिन्न उपहार और श्रृंगार लेकर घरों से मंदिर को निकलती हैं। पारंपरिक परिधान में सजी धजी महिलाएं डलिया में मां के लिए कपड़े, जेवर, फल और फूल लेकर निकलती हैं। डलिया को लाल रंग की चुनरी से ढका जाता है। पूरे गांव की महिलाओं का समूह एक साथ मंदिर में प्रवेश करता है। मंदिर में विधि-विधान से मां भगवती की पूजा अर्चना की जती है। जिसके बाद उन्हें ब्रहम कमल सहित महिलाओं की लाई सामग्री भेंट की जाती है।