गाड़ मधुलि राड़ मसूरा झन तोड़िये ग्यूं, भाभर जाली घाम लागलो पहाड़े पड़ो ह्यूं.
पहाड़ के लोगों और आषाढ़ माह का विशेष महत्व है।
संवाद सूत्र, कपकोट: पहाड़ के लोगों और आषाढ़ माह का विशेष महत्व है। इसी महीने रोपाई लगती है। धान की बुआई के लिए लगाई जाने वाली रोपाई पहाड़ की सामूहिक भागीदारी का प्रतीक है। कपकोट क्षेत्र में इसबीच धान की पौध की रोपाई का काम चरम पर है। हुड़के की थाम पर हुड़किया बोल के साथ महिलाएं खेतों में धान की पौध रोपने लगी हैं। धान की बुआई के बाद पहाड़ के सीढ़ीदार खेत किसी शानदार पेंटिग से कम नहीं दिखते। कुछ साल पहले तक आषाढ़ के महीने में आपको पहाड़ में घुटने तक कीचड़ में घुसे लोगों का समूह दिख जाता था इनके हाथ में हरे कोमल धान के पौधे होते। हुड़के की थाप संग कमर झुकाये लोगों का यह समूह तेजी से अपने सीढ़ीदार खेतों पर सरकता रहता है। रोपाई लगाने से पहले खेत को पूरी तरह पानी से भर दिया जाता है जिससे खेत की मिट्टी मुलायम हो जाती है। धान की बुआई से पहले धान उसके पौधे किसी नमी वाली जगह पर उगाये जाते हैं। इसे कुमाऊंनी में बिनौड़ कहा जाता है। रोपाई का एक मुख्य आकर्षण हुड़किया बोल भी है। हुड़के की थाप के साथ महिलायें अपने हाथ तेजी से चलाते हुये रोपाई लगाती हैं।