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सीएसडी कैंटीन में दो बजे रात से लगती है लाइन

जागरण संवाददाता बागेश्वर देश की सेवा सरहदों की रक्षा और दुश्मनों से जंग जीतकर घर लौट

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 May 2019 10:56 PM (IST)Updated: Thu, 02 May 2019 06:33 AM (IST)
सीएसडी कैंटीन में दो बजे रात से लगती है लाइन
सीएसडी कैंटीन में दो बजे रात से लगती है लाइन

जागरण संवाददाता, बागेश्वर : देश की सेवा, सरहदों की रक्षा और दुश्मनों से जंग जीतकर घर लौटे पूर्व सैनिकों को घरेलू सामान के लिए रात दो बजे से लाइन लगानी पड़ रही है। 100 किमी दूर से आने वाले पूर्व सैनिक यहां करीब दो रातें होटलों में भी बिताते हैं। सीएसडी कैंटीन में स्पेश की कमी, पाíकंग का अभाव और बैठने को स्थान नहीं होने से पूर्व सैनिकों को आठ घंटे तक खड़ा होना पड़ रहा है। जिससे पूर्व सैनिकों में भारी रोष है।

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जिले से लेकर पिथौरागढ़ जिले के करीब 11 हजार पूर्व सैनिक मंडलसेरा स्थित सीएसडी कैंटीन से घरेलू सामान और लीकर लेने हररोज जद्दोजहद कर रहे हैं। थल, पांखू, बेरीनाग, कर्मी, सुमगढ़, चौड़ास्थल, बदियाकोट, कर्मी, खाती, समडर, कुंवारी समेत कांडा-कमस्यारी और काफलीगैर क्षेत्र के पूर्व सैनिकों को दो रातें स्थानीय होटलों में बितानी पड़ रही है। वह पहले नंबर लगाने के लिए रात दो बजे से सीएसडी कैंटीन पहुंच जाते हैं। सुबह से शाम तक उन्हें करीब आठ घंटे तक धूप, बारिश का भी सामना करना पड़ रहा है। उनके बैठने का स्थान कम होने से भी दिक्कतें हैं। कैंटीन परिसर में स्पेश की भारी कमी है और पाíकंग की कोई ठोस व्यवस्था भी नहीं है। पूर्व सैनिक दीवान सिंह, करम सिंह, लाल सिंह, माधो सिंह, चंदन सिंह, जशोद सिंह, सुरेश चंद्र आदि ने कहा कि उनकी उम्र भी अब ढलान पर है। फौज में रहकर वे मजबूत जरूर हैं, लेकिन घंटों लाइन में खड़ा रह पाना अब मुश्किल हो रहा है।

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गुस्सा फूटा तो प्रशासन जिम्मेदार

पूर्व आडनेरी कैप्टन भूपाल सिंह खेतवाल ने कहा कि सीएसडी कैंटीन को भूमि की दरकार है। पूर्व सैनिकों को धूप और बरसात से लड़ना पड़ रहा है। पूर्व जिलाधिकारी ने भूमि आवंटन का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका है। पूर्व सैनिकों का गुस्सा फूटा तो प्रशासन जिम्मेदार होगा।

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स्पेश की कमी है। बैठने को स्थान कम है। पाíकंग नहीं है। तीन काउंटर हैं। प्रत्येक काउंटर पर सिर्फ 80-80 पूर्व फौजियों को एक दिन में सामान दिया जा सकता है। प्रत्येक दिन तीस सौ से अधिक पूर्व फौजी सामान लेने आते हैं। स्टाफ पूरी तरह मेहनत कर रहा है। कैंटीन के लिए अच्छे स्थान की तलाश है।

-कै. हरीश मेहरा, मैनेजर, सीएसडी


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