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नौकरी छूटी, जेब खाली, डरा रहा भविष्य

रोजगार की व्यवस्था नही होने पर पहले गांव छोड़ा सूरत में जैसे-तमाम स्थानों से पहुंचे लोग भविष्य को लेकर परेशान दिखाई दिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 May 2020 10:44 PM (IST)Updated: Wed, 13 May 2020 06:15 AM (IST)
नौकरी छूटी, जेब खाली, डरा रहा भविष्य
नौकरी छूटी, जेब खाली, डरा रहा भविष्य

चंद्रशेखर द्विवेदी, बागेश्वर: रोजगार की व्यवस्था नही होने पर पहले गांव छोड़ा, सूरत में जैसे-तैसे होटलों में काम कर आमदनी कर रहे थे, कोरोना बीमारी आई तो नौकरी भी छूट गई, फिर गांव की ओर दौड़, जेब में एक पैसा भी नही, भविष्य में क्या होने वाला कुछ भी पता नही है। ऐसा ही कुछ हाल है सूरत से बागेश्वर जिला मुख्यालय पहुंचे नामिक के लोगों का।

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पिथौरागढ़ जिले के नामिक गांव में रहने वाले अधिकतर लोग काम धंधों की तलाश में बाहरी प्रदेशों में गए चले गए थे। कोई तीन साल तो कोई 10 साल से वहां रहकर अपना गुजर-बसर कर रहा था। कोरोना-कोविड 19 महामारी से पहले जब वह छुट्टी पर घर आता था तो खूब सामाना लाता था। घर के लिए मिठाईयां, बच्चों के लिए खिलौने। अब वह ऐसे हाल में आ रहा है। उसके पास सिर्फ अपने दो जोड़ी कपड़े ही है। जेब में एक पैसा ही नही। अधिकतर लोग होटल में छोटा-मोटा काम करने वाले है। होटल बंद हुआ तो सबको नौकरी से निकाल दिया। यहां तक ही लॉकडाउन के बाद से उनको होटल स्वामी ने पगार भी नही दी है। बस आश्वासन दिया है होटल चलेगा तो पैसा भेज देंगे। गांव में इन लोगों के पास इतनी जमीन भी नही की खेती बाड़ी कर सकें। सभी अपने भविष्य को लेकर आशंकित है।

----फोटो:- 12बीएजीपी06----

मैं पिछले 8 सालों से गुजरात के गुलमोहर होटल में काम करता था। बीमारी फैली तो काम धंधा बंद हो गया। जेब में एक पैसा भी नही बचा। जो था वह अब तक खाने आदि में खर्च हो गया। घर वालों सोचेंगे आया है तो कुछ लाएगा। अब तो डर सताने लगा है।

हरीश राम, निवासी नामिक

----फोटो:- 12बीएजीपी07----

सुगर एंड स्पाइसेस बारदोली, गुजरात में काम करने वाले दिनेश ने बताया कि वह पिछले दो सालों से काम कर रहा है। गांव में तो कुछ करने के लिए नही है। अब वहां भी नौकरी से निकाल दिया। सरकार नही लाती तो आ भी नही पाते।

दिनेश, निवासी नामिक

----फोटो:- 12बीएजीपी08----

लेग व्यू रेस्टोरेंट सूरत में काम करने वाले प्रकाश राम ने बताया कि वह पिछले 4 साल से काम कर रहे है। 8 हजार रुपया तक मिल जाता था। कुछ पैसा घर भेज देते थे ताकि बूढ़े मां-बाप के लिए गुजारा हो जाए। अब आगे क्या होगा पता नही।

प्रकाश राम, निवासी नामिक

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काव्या होटल, सूरत में काम करने वाले उत्तम ने बताया कि वह तीन सालों से काम कर रहे है। वह अपने गांव के साथी के साथ गए थे। मार्च के बाद से वेतन नही मिला है। मालिक कह रहा था खाते में डाल देगा। पता नही। जेब में कुछ नही बचा।

उत्तम निवासी नाम


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