कोट भ्रामरी के बाद बैजनाथ में भी होली की धूम
होली की चतुर्दशी को कत्यूर घाटी के गांवों की होलियां प्रसिद्ध कोट भ्रामरी मंदिर के बाद बैजनाथ पहुंचीं।
गरुड़, जेएनएन: होली की चतुर्दशी को कत्यूर घाटी के गांवों की होलियां प्रसिद्ध कोट भ्रामरी मंदिर पहुंची। होल्यारों ने मां को अबीर-गुलाल लगाकर होली गायन किया। विधायक चंदन राम दास व पूर्व विधायक ललित फस्र्वाण ने लोगों को अबीर-गुलाल लगाकर होली की बधाई व शुभकामनाएं दी।
चतुर्दशी को कत्यूर घाटी के गांवों की होलियां नांगरा-निषाणों के सात कोट भ्रामरी मंदिर पहुंची।इससे पूर्व मटेना व जिनखोला गांव की होलियां गड़सेर स्थित प्रसिद्ध बद्रीनाथ मंदिर में भी गई। वहां होल्यारों ने होली गायन किया। इसके बाद होलियां प्रसिद्ध बैजनाथ मंदिर पहुंची। यहां भी होल्यारों ने होली गायन किया। इसके बाद होल्यार पैदल चढ़ाई पार कर प्रसिद्ध कोट भ्रामरी मंदिर पहुंचे। वहां विभिन्न गांवों के होल्यारों की टीम ने बारी-बारी से होली गायन किया। होल्यारों ने अंबा के भवन बिराजे होली, आज भवानी को दर्शन करहु, आज भवानी को मंगल गाया आदि होलियां गाई। इस मौके पर विधायक चंदन राम दास, पूर्व विधायक ललित फस्र्वाण, भाजपा जिलाध्यक्ष शिव सिंह बिष्ट, सांसद प्रतिनिधि घनश्याम जोशी, इंद्र सिंह बिष्ट, जिपंस जनार्दन लोहुमी, एडवोकेट जेसी आर्या, हरीश रावत, बलवंत भंडारी, बबलू नेगी, डीके जोशी आदि ने होल्यारों की टीम को अबीर गुलाल लगाकर होली की बधाई दी।इस दौरान पुलिस व तहसील प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे।
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शिव के मन माहीं बसै काशी कपकोट: नगर पंचायत वार्ड दो तिरूवाण में होली कुछ अलग अंदाज से मनाई जाती है। यहां करीब 55 सालों से होली का गायन हो रहा है। नशामुक्त होली होती है और होली सभा में नशा तो दूर धूम्रपान भी वर्जित है। रविवार को होल्यारों ने शिव के मन माहीं बसै काशी, दशरथ राजा तकि तकी मरौ, कहत मनोधरी सौनौ पियौ रावण आदि होली गायन किया। सभासद तनुज तिरूवा ने बताया की होली 55 वर्षो से अधिक समय से होली मनाई जाती है। तिरूवाण में रहने वाले स्व. देवी प्रसाद व अन्य ग्रामीणों के सहयोग से मथुरा से यह होली उठाई गई थी। सबसे शांति प्रिय होली मनाई जाती है