गर्मी बढ़ते ही सूखने लगे हलक
जागरण संवाददाता बागेश्वर अभी बरसात ओलावृष्टि और जाड़ों में बर्फबारी से पहाड़ में गर्मी
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : अभी बरसात, ओलावृष्टि और जाड़ों में बर्फबारी से पहाड़ में गर्मी कम पड़ रही है, लेकिन सूर्य की किरण लाल होने से पानी की किल्लत भी शुरू हो गई है। 40 साल से भी पुरानी योजनाओं की सांस फूलने लगी है और लोग हलक तर करने के लिए फिर प्राकृतिक स्त्रोतों का रुख कर रहे हैं। हालांकि जलसंस्थान मई-जून की भीषण गर्मी में पानी की आपूíत के लिए तैयार हो गया है और पेयजल लाइनों की मरम्मत का प्रस्ताव भी बना लिया है।
लोकसभा चुनाव आदर्श आचार संहिता लगने से जलसंस्थान की तैयारियां धरातल पर नहीं उतर पा रही हैं। जिससे पेयजल का संकट बना हुआ है। शहर से लेकर गांव तक पानी के लिए लोग परेशान होने लगे हैं। आचार संहिता की परवाह किए बिना डीएम को आंदोलन का अलटीमेटम भी दे रहे हैं। वर्तमान में नगर के मंडलसेरा, कठायतबाड़ा, नदीगांव, मजियाखेत और खरेही क्षेत्र में पानी को मारामारी शुरू हो गई है। गर्मी बढ़ने से लोग पानी की तलाश में फिर से प्राकृतिक स्त्रोतों का रुख कर रहे हैं।
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मई-जून में संकट गहराने की आशंका
मई-जून में सबसे अधिक गर्मी पड़ती है। जलसंस्थान के लिए यह दो माह काफी मशक्कत भरे होते हैं। प्राकृतिक स्त्रोतों में भी पानी की मात्रा कम हो जाती है। हर रोज आंदोलन का विगुल बजता है। जिससे निपटने को लेकर जलसंस्थान ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है।
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क्या हैं तैयारियां
जलसंस्थान ने एक नया टैंकर खरीद लिया है। गत वर्ष के अनुबंध को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। अब दो टैंकर प्राइवेट के लिए पेयजल आपूíत हो लगाए जा सकेंगे। कठायतबाड़ा और नीलेश्वर स्थित पानी की टंकी की मरम्मत को आगणन तैयार है। नगर के विभिन्न हिस्सों में रिस रही पाइप लाइन की मरम्मत करने को बजट का इंतजार हो रहा है।
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शहर में 1.78 एमएलडी पानी कम
शहर को 4.55 एमएलडी पानी की आवश्यकता है जबकि वर्तमान में 2.77 एमएलडी पानी की आपूíत हो रही है। मई-जून में यह आपूíत और भी कम होने की आशंका है। जबकि शहर को 1.78 एमएलडी पानी कम मिल रहा है।
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आचार संहिता के चलते टेंडर आदि आमंत्रित नहीं हो सके हैं। मई-जून के लिए जलसंस्थान पूरी तरह तैयार है। मरम्मत आदि का काम किया जा रहा है। आपूíत सुचारू करने की भरपूर कोशिश है।
-एमके टम्टा, ईई, जलसंस्थान