महज दो छात्रों के लिए चल रहा है राजकीय पॉलीटेक्निक
बागेश्वर जिले के कपकोट में राजकीय पॉलीटेक्निक का हाल सबसे बुरा है। यहां बीते दो वर्षों से महज दो छात्र अध्ययनरत हैं।
बागेश्वर, [जेएनएन]: सरकार लगातार तकनीकी शिक्षा पर जोर दे रही है। इसके लिए कई शैक्षिक संस्थान जिले में खोले गए हैं। जिसमें आइटीआइ व पालीटेक्निक संस्थान शामिल हैं लेकिन हर तरफ बदहाली का आलम है। राजकीय पॉलीटेक्निक का हाल सबसे बुरा है। यहां बीते दो वर्षों से महज दो छात्र अध्ययनरत हैं।
राजकीय गवर्नमेंट पॉलीटेक्निक कालेज कपकोट की स्थापना 2010 में हुई। स्थापना के समय यह कालेज अल्मोड़ा जिले के ताकुला में चलता था। 2014 में इसे कपकोट लाया गया। कपकोट पॉलीटेक्निक में वर्तमान में एक ही कोर्स संचालित है। जिसका नाम मॉडर्न आफिस मैनेजमेंट एंड सक्रेट्रेरियल प्रैक्टिस है। दो साल का यह कोर्स शुरू से लेकर अब तक चल रहा है।
कालेज प्रशासन का कहना है कि इस कोर्स में 40 छात्रों के लिए सीट यहां उपलब्ध हैं। इस तरह दोनों वर्ष मिलाकर इस कोर्स में 80 छात्र पढ़ाई कर सकते हैं। लेकिन कालेज में सिर्फ दो छात्र ही वर्तमान समय में अध्ययनरत हैं। जिसमें से एक छात्र प्रथम वर्ष में तथा दूसरा छात्र द्वितीय वर्ष में पढ़ाई कर रहा है। प्रतिवर्ष सिर्फ एक छात्र के प्रवेश लेने पर अधिकारियों का कहना है कि कॉलेज में प्रवेश नियम व शर्तों के अधीन होता है। ऑनलाइन काउंसिलिंग के जरिए प्रवेश दिया जाता है। जिसमें कोर्स के प्रति विद्यार्थियों की जागरूकता का नहीं होना भी प्रमुख कारण बताया।
नौ कर्मचारी है कार्यरत
कॉलेज में दो छात्रों को पढ़ाने के लिए कुल नौ कर्मचारी कार्यरत हैं। जिसमें एक प्राचार्य, चार प्राध्यापक, दो क्लर्क व दो पीआरडी के जवान शामिल हैं। इस तरह कुल नौ लोग मिलकर कालेज के अध्यापन कार्य में सहयोग कर रहे हैं। इस संस्थान के पास अपना भवन भी नहीं है।
वैकल्पिक व्यवस्था के तहत कालेज आइटीआइ भवन में ही संचालित किया जा रहा है। जबकि प्रशासन का कहना है कि कालेज के नाम पर करीब 100 नाली जमीन आवंटित है। जो कि जीआइसी कपकोट के पास स्थित है। विद्यालय भवन बनाने के लिए डीपीआर बनाने की कवायद चल रही है।
एक और विषय की स्वीकृति पालीटेक्निक कपकोट में वर्तमान में एक विषय ही संचालित है। जल्दी ही यहां दूसरा विषय कम्प्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग भी शुरू करने की तैयारी है। विषय शासन द्वारा स्वीकृत हो चुका है। अगले सत्र से इसे शुरू किया जाएगा।
राजकीय पालीटेक्निक, कपकोट(बागेश्वर) के प्राचार्य मो. शाकिर हसन का कहना है कि विषय के बारे में जागरूकता न होने से प्रवेश कम हुआ है। जबकि इस कोर्स को करने के बाद सरकारी व निजी क्षेत्र में नौकरी के लिए बहुत स्कोप है।
यह भी पढ़ें: हाइटेक हुआ शिक्षा विभाग, 70 हजार कार्मिक हुए ऑनलाइन
यह भी पढ़ें: रेलवे प्रशासन का 'आर-मित्र' मोबाइल एप, जानिए क्या है खासियत