कपकोट में चाय बागान विकसित करें सरकार
दार्जीलिंग की तर्ज पर कपकोट में चाय बागान विकसित करने की मांग की गई ताकि रोजगार पैदा हो।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : दार्जीलिंग की तर्ज पर कपकोट में चाय बागान विकसित करने की मांग तेज हो गई है। ब्लॉक प्रमुख ने उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के प्रबंधक से मुलाकात कर उन्हें क्षेत्र की आबोहवा आदि की जानकारी दी। साथ ही इसके माध्यम से रोजगार पैदा करने की मांग की।
ब्लॉक प्रमुख कपकोट गोविद दानू ने उत्तराखंड चाय विकास बोर्ड के प्रबंधक प्रमोद कुमार धय्या से कौसानी में मुलाकात की और उनको कपकोट में चाय बागान विकसित करने का प्रस्ताव सौंपा। बताया कि क्षेत्र के दर्जनों गांवों से सैकड़ों किसानों ने अपनी कृषि भूमि में चाय बागान विकसित करने की मांग की है और कृषि भूमि लीज पर देने का प्रस्ताव भी बनाया है। पर्वतीय क्षेत्र में जैविक चाय की खेती के लिए उपयुक्त कृषि भूमि है। जैविक चाय की मांग को ²ष्टिगत रखते हुए इसको प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। चाय बागान विकसित करने के लिए मनरेगा और नाबार्ड से योजना बनाकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार दिया जा सकता है, जिससे गांवों से हो रहा पलायन पर ब्रेक लगेगा और युवाओं के हाथों को रोजगार मिल सकेगा। चाय बागान विकसित होने पर स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा ओर कृषि भूमि लीज दाता को टी-बोर्ड के नियमानुसार मुनाफा भी मिल सकेगा।
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मृदा परीक्षण के बाद बनाए नर्सरी
ब्लाक प्रमुख दानू ने कहा कि चाय बागान की नर्सरी के लिए मृदा परीक्षण होना जरूरी है। कर्मी या चौड़ास्थल में मृदा परीक्षण केंद्र खोला जा सकता है। चाय बागानों के लिए दार्जीलिंग की तर्ज पर सरयू, पिडर घाटी समेत शामा, पोथिग, तोली, बघर, दोबाड़, सिमगड़ी, जगथाना, कन्यालीकोट, सुमटी-बैसानी, झांकरा, बास्ती, भंतोला, जाखनी, सेरी, खलझूनी, हरकोट, मिकिला खलपट्टा, रिखाड़ी में एक कलस्टर की तौर पर चाय बागान विकसित किया जा सकता है।