सिंचार्इ विभाग ने लाखों बहाए, फिर भी खेतों तक नहीं पहुंचा पाए पानी
गरुड़ में सिंचाई विभाग ने नहरों के हेड बांधने के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर दिए, परंतु नहरों में पानी नहीं आया। जिससे काश्तकारों की मुश्किलें बढ़ गर्इ हैं।
गरुड़, [जेएनएन]: कत्यूर घाटी में सिंचाई व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। सिंचाई विभाग ने नहरों के हेड बांधने के नाम पर लाखों रुपये खर्च कर दिए, परंतु नहरों में पानी नहीं आया। इस कारण खेतों में अब तक धान की रोपाई नहीं हो पाई है।
कत्यूर घाटी में आषाढ़ का पूरा महीना बिना बारिश के गुजर गया है। नहरों की हालत बेहद खस्ता है। सिंचाई विभाग की लापरवाही का खामियाजा काश्तकारों को भुगतना पड़ रहा है। घाटी की बयालीसेरा, मन्यूड़ा, गड़सेर आदि नहरों में कुछ समय पूर्व हेड बांधने के नाम पर विभाग ने लाखों रुपये खर्च कर दिए परंतु इन नहरों में पानी नहीं दिखा। इसके अलावा जिन नहरों में पानी बह भी रहा है, वह टेल तक नहीं पहुंच रहा है। एक किमी पानी चलने के बाद नहरों से पानी रिसने के बाद पानी गायब हो जा रहा है।
काश्तकार सुरेश चंद्र, गोपाल दत्त जोशी, कृष्ण चंद्र तिवारी, लक्ष्मी दत्त, हरीश चंद्र, मोहनदा, गोपाल सिंह, भागीरथी देवी, आनंदी देवी आदि ने कहा कि नहरों में पानी चलाए जाने की मांग को लेकर उन्होंने कई बार जिलाधिकारी और उप जिलाधिकारी को ज्ञापन भेजे, पर उनकी शिकायतों के बाद भी समस्या का निराकरण नहीं हुआ, जिससे काश्तकारों में विभाग के प्रति तीव्र रोष व्याप्त है।
भट्ट और घास बोने लगे हैं काश्तकार
नहरों में पानी न चलने के कारण पूर्व में ही काश्तकारों की धान की नर्सरी सूख चुकी है। अब काश्तकार बिनौणा कम होने के डर से भट्ट और घास खेतों में बोने लगे हैं।
पंपिंग सेट लगाकर रोपाई कर रहे हैं किसान
काश्तकार अब ऊंची कीमत में पंपिंग सेट लगाकर रोपाई करने को मजबूर हैं। पाये, गड़सेर और स्यालाटीट ऐसे सेरे हैं, जो नदियों से काफी दूर हैं। यहां पंपिंग सेट भी नहीं लगाया जा सकता है।
ग्रामीण बोले, अधिकारियों के वेतन से मिले मुआवजा
काश्तकारों ने इस बार सिंचाई को टैक्स न देने का निर्णय लिया है। उन्होंने डीएम को भेजे ज्ञापन में कहा है कि उनके नुकसान की भरपाई अब सिंचाई विभाग के अधिकारियों के वेतन से की जानी चाहिए। अन्यथा वे आंदोलन करने को मजबूर होंगे।
सिंचार्इ विभाग के एसडीओ हरीश चंद्र सती का कहना है कि विभाग के पास बजट और बेलदारों की काफी कमी है। अधिकांश नहरों से पानी रिस रहा है। मरम्मत के लिए बजट नहीं है। फिर भी विभाग नहरों में पानी चलाने की कोशिश कर रहा है।
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