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क्वारंटाइन अवधि में प्रवासी महिला ने बदल दी स्कूल की तस्वीर

काम करने वाला इंसान कहीं भी खाली नहीं बैठता है। क्वारंटाइन महिला ने सेंटर में बागवानी उगाई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 10:46 PM (IST)Updated: Thu, 28 May 2020 06:08 AM (IST)
क्वारंटाइन अवधि में प्रवासी महिला ने बदल दी स्कूल की तस्वीर
क्वारंटाइन अवधि में प्रवासी महिला ने बदल दी स्कूल की तस्वीर

चंद्रशेखर बड़सीला, गरुड़: काम करने वाला इंसान कहीं भी खाली नहीं बैठता है।वह आने कार्यों से एक अलग पहचान बना लेता है।इन्हीं में शुमार है बाड़ीखेत गांव की बबीता देवी।जिन्होंने चौदह दिन की क्वारंटाइन अवधि में स्कूल की तस्वीर बदल दी।क्षेत्र में कगारों ओर इसकी चर्चा जोरों पर है और बबीता देवी युवाओं की प्रेरणास्त्रोत बन गई है।

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तहसील के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बाड़ीखेत को संस्थागत क्वारंटीन सेंटर बनाया गया है।यहां चौदह दिन पूर्व दिल्ली से अपने गांव लौटी प्रवासी बबीता देवी को अपने परिवार के साथ क्वारंटीन किया गया।इस अवधि में केंद्र में समय बिताने के अलावा और कुछ नहीं था।हुनरमंद बबीता देवी ने देखा कि स्कूल में न क्यारियां हैं न फूल।केवल चारों ओर बंजर जमीन है।बंजर जमीन को भी बबीता देवी के हाथों की शक्ति पता नहीं थी।फिर क्या था बबीता देवी जुट गई स्कूल के चारों ओर क्यारियां बनाने में।जब स्कूल में ड्यूटी में तैनात प्रधानाध्यापिका भगवती गोस्वामी पहुंची तो वह भी बबीता के कार्य को देखकर हैरान रह गई।बबीता के अनुरोध पर प्रधानाध्यापिका भगवती गोस्वामी ने उन्हें फूल के पौधे लाकर दिए। बबीता के संकल्प के आगे बंजर जमीन भी हार गई और परिश्रम की बगिया फूलों से महक उठी।आज स्कूल के चारों ओर नाना प्रकार के फूल खिले हैं और क्यारियों में चारों ओर हरियाली है।जो स्कूल के सौंदर्य में चार चांद लगा रहे हैं।प्रधानाध्यापिका भगवती गोस्वामी ने बताया कि बबीता चौदह दिन की अवधि पूरी करने के बाद अपने घर चली गई है।लेकिन वह अपनी मेहनत की अमिट छाप हमेशा के लिए विद्यालय में छोड़ गई है।साथ ही यह संदेश भी दे गई है कि जीवन में आराम नहीं बल्कि कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।बबीता ने आज क्षेत्र में प्रवासियों के लिए एक नई मिसाल कायम की है।


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