युवाओं को हुनर से राह दिखा रहे पोथिग गांव के दीपक
बागेश्वर पहाड़ का युवा अगर कुछ करने की ठान ले तो उसके लिए कुछ भी असंभव है। पोथिंग गांव के युवा भी कुखेती कर दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं
घनश्याम जोशी, बागेश्वर: पहाड़ का युवा अगर कुछ करने की ठान ले तो उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं। ऐसा ही कुछ कर रहे है पोथिग गांव के दीपक गढि़या। वह करीब एक साल पहले नौकरी छोड़ घर आ गए। इसके अलावा लाकडाउन के दौरान उनके भाई शंकर गढि़या और राहुल गढि़या भी घर लौट आए। उसके बाद उन्होंने अपने घर में कुछ करने की ठानी। वह लग गए खेतीबाड़ी में। उन्होंने सब्जी व फूलों का कारोबार करना शुरु कर दिया। जिसके परिणाम भी सामने आने लगे। बताते हैं कि दीपक गढि़या दिल्ली में नौकरी छोड़ एक वर्ष पूर्व घर लौट आए। लाकडाउन के दौरान उनके छोटे भाई शंकर गढि़या भी मुंबई से घर लौट आए जबकि तीसरे भाई राहुल भी जोशीमठ से आ गए। पहले से घर में बड़े भाई ने खेतीबाड़ी का कारोबारी संभाला हुआ था। तीनों भाइयों ने मिलकर उसे लाकडाउन के दौरान आगे बढ़ाया। करीब एक लाख रुपये से अधिक के फूल उगाए, लेकिन फूलों को बाजार नहीं मिल पाया। फूलों के साथ उन्होंने सब्जी का कारोबार भी किया। करीब 10 नाली भूमि में टमाटर, शिमला मिर्च, बैगन, प्याज, लहसून आदि सब्जियां उगाकर स्थानीय बाजार में बेची और आमदनी की। अब वह करीब एक लाख रुपये प्रतिमाह से अधिक की आमदनी सब्जियों से कर रहे है। ---------- 10 प्रवासियों को दे रहे रोजगार पोथिग गांव के तीन भाई दीपक, शंकर और राहुल ने मिशाल कायम की है। वह अन्य प्रवासी युवाओं को भी खेती-बाड़ी के लिए प्रेरित कर रहे हैं। उन्होंने इसबीच कपकोट में भूमिका रेस्टोरेंट भी खोल लिया है। जहां कुमाऊंनी व्यंजन आदि बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा मशरूम की खेती भी शुरू कर दी है। चाचा के बेटे नंदन सिंह गढि़या के साथ ही गांव के दस प्रवासियों को अपने साथ रोजगार दे रहे हैं।
..... सभी युवाओं का आह्वान करुंगा की वह स्वरोजगार की ओर बढ़े। भारत किसान देश है और आज भी हम मुख्य व्यवसाय कृषि ही लिखते हैं। कृषि हमारी पैतृक धरोहर है और माटी से प्यार करें। लाकडाउन हमें गांव लाया है और गांवों में फिर से रौनक है। -दीपक गढि़या। ------
मशरूम उत्पादन के लिए कपकोट में प्रशिक्षण आदि भी दिया गया है। प्रवासियों को अधिकाधिक रोजगार मिले इसके लिए उद्यान विभाग प्रयत्नशील है। पोथिग गांव की विजिट भी की गई। गढि़या भाइयों ने बेहतर काम किया है। -आरके सिंह, जिला उद्यान अधिकारी, बागेश्वर।