धूमधाम से मनाई जाएगी गढि़या बग्वाल
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: कपकोट के पो¨थग गांव के तिपारि में आयोजित बैठक में Þगढि़या बग्व
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: कपकोट के पो¨थग गांव के तिपारि में आयोजित बैठक में Þगढि़या बग्वालÞ को वृहद रूप देकर मेले के रूप मनाये जाने पर सहमति हुई।
गढि़या बग्वाल के सफलता के लिए मध्य व मल्ला दानपुर के लोगों की बैठक आयोजित हुई। बैठक में कहा कि इस वर्ष यह 18 नवंबर को गढि़या बग्वाल का आयोजन होगा। बग्वाल को पो¨थग, तोली, लीली, बीथी-पन्याति, गडेरा,लखमारा, चीराबगड़, जारती, भयू्रं, सीमा, हरसिला, नानकन्यालीकोट, सुमति वैशानी, दुगनाकुरी क्षेत्र की ग्रामसभाओ ने मिलकर मनाने का निर्णय लिया। मेले के सफल आयोजन के लिए सर्वसम्मति से व्यवस्थापक भूपेश गढि़या, अध्यक्ष भुवन गढि़या, महासचिव दीपक गढि़या, रमेश ¨सह गढि़या कोषाध्यक्ष हयात गढि़या, राजन गढि़या उपाध्यक्ष तारा दत्त जोशी, नंदन गढि़या सचिव रतन फस्र्वाण,दिनेश गढि़या सह सचिव नरेन्द्र गढि़या, श्री ललित जोशी, जगदीश कुंवर, कैलाश गढि़या, राजन राम, कमलेश गढि़या, सुंदर गढि़या सलाहकार भगवत ¨सह गढि़या (पूर्व कनिष्ठ प्रमुख), मेहरबान ¨सह, मधन ¨सह, धाम ¨सह संयोजक खुशाल ¨सह, मोहन मेहता, सतीश चंद्र जोशी, नंदन ¨सह, लाल ¨सह बिष्ट, धन ¨सह कन्याल, भीम ¨सह दानू, राजन ¨सह, मंगल राम, शेर राम, संरक्षक शेर ¨सह गढि़या, राम ¨सह गढि़या, खुशाल ¨सह गढि़या बनाया गया।
इस बग्वाल को गढि़या लोगों के साथ मध्यदानपुर घाटी के हरसिला, नानकन्यालीकोट, गडेरा, लीली, फरसाली पो¨थग से लेकर मल्लदानपुर के तोली, कर्मी, बघर, बदियाकोट, वाछम गाव की बहुत सी जातियां जैसे जोशी, दानू, देवली, फस्र्वाण, मेहता, कन्याल, बिष्ट इत्यादि बिरादरी के सभी लोग भी मनाते आए हैं जो आज भी बहुत उत्साह व जोश के साथ मनाते हैं। कुमाऊं संग्रहालय अल्मोड़ा में उपस्थित इतिहास की किताबों से प्राप्त जानकारी के अनुसार सैकड़ों वर्ष पहले मुगलों के आक्रमण के बाद राजस्थान से विस्थापित गढि़या और उनके साथ कि जातियां मुख्य रूप से गढ़वाल के चमोली और कुमाऊं के बागेश्वर जिले में बसे हैं। संग्रहालय में उपस्थिति इतिहास के अनुसार कुमाऊं में बसने के दो तीन दशक के बाद से यह त्योहार मनाये जाने की जानकारी मिलती है।
इस अवसर पर महेश गढि़या, राम ¨सह, शेर ¨सह, पदम ¨सह, कुंजर ¨सह, दान ¨सह, रमेश ¨सह, नंदन ¨सह, दयाल ¨सह, धन राम,मनोज गढि़या, चंचल ¨सह, शंकर जोशी, हरिश्चन्द्र ¨सह, विनोद ¨सह आदि मौजूद थे।