77 साल के बुजुर्ग की मेहनत से लहलहा रही बंजर खेत
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : मन में यदि कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो उम्र कभी आड़े नहीं
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : मन में यदि कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो उम्र कभी आड़े नहीं आती है। ऐसा ही तत्ला बिलोनासेरा के मनोहर ¨सह दफौटी ने कर दिखाया है। उन्होंने अकेले के दम पर 15 नाली बंजर भूमि को आबाद कर दिया है जिसमें फल, फूल और सब्जियां लहलहा रहीं हैं।
शिक्षक और ठेकेदार मनोहर ¨सह दफौटी 77 साल के पड़ाव पर हैं, लेकिन उन्होंने अभी हार नहीं मानी है। वे सुबह साढ़े सात बजे खेतों की तरफ निकलते हैं और दिन के दो बजे तक हाड़तोड़ मेहनत करते हैं। आज उनकी मेहनत से तल्ला बिलौना में पैतृक भूमि पर फल, सब्जी और फूलों की खेती लहलहा रही है। हालांकि उन्हें विपणन की सुविधा नहीं मिल सकी है, लेकिन उनके हौसले किसी युवा से कम नहीं हैं।
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लहलहा रहे खेत
केला, वन केला, इलायची, कागजी नीबू, बड़ा नीबू, आम, अमरूद, कटहल, ¨रगाल, बांस, पदम, फल्यांट, क्वैराल, भिमल, खड़क, थ्यूड़ी, रीठा, गुलाब, गिलोई, एलोवेरा, गेठी, तरुण, अनार, शहतूत, च्यूरा, तुलसी, वन तुलसी, गडेरी, कद्दू, लौकी, शिमला मिर्च, ¨भडी आदि के पेड़ लहलहा रहे हैं। जिसमें एक हजार पेड़ केला भी शामिल हैं। जबकि प्रतिवर्ष करीब 40 किलो इलायची की पैदावार भी हो रही है।
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विपणन की सुविधा नहीं
किसान मनोहर ¨सह कहते हैं कि विपणन की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। वे बाजार में उत्पाद ले जाते हैं। लेकिन औने-पौने दाम मिलते हैं। वे रिश्तेदार और अन्य को अधिकतर फल, फूल, सब्जी आदि बांट देते हैं। दस नाली भूमि में उनका आम का बगीचा भी है।
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सुरक्षा दीवार नहीं होने से भूमि का कटान हो रहा है। सरयू नदी से सटा 15 नाली भूमि बंजर थी। पिछले दस सालों से वह लहलहा रही है। पानी की दिक्कत है। जिसके लिए डीएम से मिलेंगे।
-केएस बनकोटी, सेवानिवृत्त वीडीओ