50 लाख की योजना फिर भी प्यासा गांव
जागरण संवाददाता बागेश्वर आरे गांव के लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। 500 से
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : आरे गांव के लोग पानी की बूंद-बूंद के लिए तरस रहे हैं। 500 से अधिक लोगों के लिए 50 लाख रुपये की लागत से बनी योजना में कुछ दिन पानी चला, लेकिन उसके बाद योजना ठप हो गई। जिससे लोगों में भारी रोष है और जलनिगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
शहर से सिर्फ चार किमी दूर स्थित आरे गांव पूरी तरह खुशहाल है। गांव से करीब 300 मीटर नीचे सरयू बहती है, लेकिन गांव प्यासा है। गर्मी बढ़ने के साथ ही यहां पानी की बूंद-बूंद के लिए लोग तरस जाते हैं। डेढ़ साल पूर्व पंद्रहपाहली-आरे पेयजल योजना का निर्माण हुआ। करीब पांच किमी लंबी योजना पर 50 लाख रुपये व्यय किए गए। ग्रामीणों के अनुसार कुछ दिन योजना में पानी आया लेकिन गर्मी बढ़ते ही पानी बंद हो गया। ग्रामीणों ने बताया कि करीब डेढ़ हफ्ते पूर्व गांव में पानी की बूंद नहीं गिर सकी है। लोग प्राकृतिक स्त्रोत और सरयू का रुख कर रहे हैं। ग्रामीण दीपक सिंह, गोविद खेतवाल, नारायण खेतवाल, हीरा सिंह, हीरा लाल, गणेश राम, जगदीश राम आदि ने जल निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पानी की आपूíत नहीं होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है।
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पुरानी योजना जर्जर
गांव के लिए एक पुरानी योजना भी है। वह जर्जर हालत में पहुंच गई है। रखरखाव और मरम्मत नहीं होने से ग्रामीणों को उससे पानी भी नहीं मिल पा रहा है।
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शहर के लोग सिर पर ढो रहे पानी
शहर में पानी की भारी किल्लत चल रही है। गाड़गांव के लोग चंडिका से सिर और पीठ पर लादकर पानी ढोने को मजबूर हैं। सरयू का पानी गंदा होने से कठायतबाड़ा समेत तमाम इलाकों में गंदे पानी की सप्लाई हो रही है। जिससे लोगों को प्राकृतिक स्त्रोतों का रुख करना पड़ रहा है।
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योजना बनकर तैयार है। ट्रायल के लिए कुछ दिन पानी चलाया गया। गांव में टैंक बन चुका है और जल्द पानी की आपूíत सुचारू की जाएगी और योजना को जलसंस्थान को हस्तांरित की जाएगी।
-सीपीएस गंगवार, ईई, जल निगम