18 साल पूरा, विकास अधूरा
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : उत्तराखंड राज्य बने 18 साल पूरे हो गए हैं। लेकिन बागेश्वर का समू
जागरण संवाददाता, बागेश्वर : उत्तराखंड राज्य बने 18 साल पूरे हो गए हैं। लेकिन बागेश्वर का समूचित विकास अभी भी तय होना है। राज्य बनने के बाद सरयू को कौड़ियों के भाव बेच दिया गया है, जिस पर जल विद्युत परियोजनाएं बन रही हैं, कुछ ने काम करना भी शुरू कर दिया है। सीवरेज की यहां सबसे बड़ी समस्या है, सड़कों की स्थिति भी ठीक नहीं हो सकी है। तहसीलों में तहसीलदार, रजिस्टार के पद रिक्त हैं।
---------
जिले को क्या मिला
राज्य बनने के बाद जिले को एक अदद जिला अस्पताल मिल सका है, वह भी सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भवनों पर ही संचालित हो रहा है। ट्रामा सेंटर बनने के बावजूद भी सुचारू नहीं हो पा रहा है, जिसे जिला अस्पताल के साथ ही चलाया जा रहा है। कलक्ट्रेट, जिला जजी, विकास भवन, कांडा, गरुड़, कपकोट, दुग नाकुरी में डिग्री कॉलेज बने जबकि कॉलेजों को अभी भी भवनों की दरकार है। आइटीआइ, पॉलीटेक्निक कॉलेज बने, जिनकी स्थित वर्तमान में बंद होने के कगार पर है। बैजनाथ में गोमती नदी में झील बनी, लेकिन अभी तक नौकायन आदि गतिविधियां सुचारू नहीं हो सकी हैं। कपकोट में जल विद्युत परियोजनाओं का निर्माण हो रहा है। बिजली विभाग को अपना बिजली घर मिला है, जो अभी सुचारू नहीं हो सका है।
-----------
बड़े उद्योग नहीं लगे
18 साल बाद भी जिले में कोई बड़ा उद्योग नहीं लग सका है। खड़िया उद्योग नहीं लग सके हैं। विधानसभा चुनाव के समय जरूर खड़िया से संबंधित उद्योगों की स्थापना की बात होती है। पानी की समूचित योजनाएं नहीं बन सकी हैं। दो-दो नदियां होने के बावजूद भी सालभर पानी की किल्लत रहती है। सड़कों के हालत भी ठीक नहीं हैं। हालांकि करब 200 से अधिक सड़कें विभिन्न योजनाओं में काटी गई हैं, लेकिन उनकी हालत दयनीय बनी हुई है। शिक्षा, सड़क, रोजगार के लिए गांवों से लगातार पलायन हो रहा है।
---------
बड़ी मांगें
-बागेश्वर-टनकपुर रेल लाइन
-नगर में सीवर लाइन
-पाíकंग
-बेस अस्पताल
-हवाई सेवा
-रोपवे
-खेल मैदान
-डिग्री कॉलेज भवन
-एनएच निर्माण
-कौसानी चाय फैक्ट्री
-खड़िया उद्योग
----------
नहीं हुए सपने साकार
उत्तराखंड शहीदों ने बनाया है और राजनीति करने वालों ने राज्य की अवधारणा को खत्म कर दिया है। विकास जरूरत है, लेकिन उस पर भ्रष्टाचार हावी है। राज्य बनने के 18 सालों में धन का बोलबाला अधिक हो गया है। शहीद और राज्य आंदोलनकारी भुला दिए गए हैं। दिल्ली-देहरादून में पहाड़ के विकास का खांका बन रहा है, जो धरातल पर नहीं उतर रहा है।
-भुवन कांडपाल, राज्य आंदोलनकारी
.............
राज्य में राजनीति करने वाले दलों ने विकास की अवधारणा को भटका दिया है। रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य के लिए लोग पलायन कर रहे हैं। गांव खाली हो रहे हैं। किसानों को रोकने का कोई साधन सरकारों के पास नहीं है। बंदर, सुअर फसल उजाड़ रहे हैं और गुलदार बच्चों के दुश्मन बने हुए हैं। विकास की रफ्तार को भ्रष्ट तंत्र ने पूरी तरह भटका दिया है।
-हेम पंत, राज्य आंदोलनकारी