अब एक घंटे में सोमेश्वर, दो घंटे में अल्मोड़ा
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: अमसरकोट-गिरेछीना होते हुए सोमेश्वर- अल्मोड़ा पहुंचना अब आसान हो गया है।
जागरण संवाददाता, बागेश्वर: अमसरकोट-गिरेछीना होते हुए सोमेश्वर- अल्मोड़ा पहुंचना अब आसान हो गया है। अल्मोड़ा पहुंचने के लिए लोनिवि ने तीसरा विकल्प तैयार कर लिया है। बागेश्वर- गिरेछीना- सोमेश्वर मोटर मार्ग बनकर तैयार है। हालांकि अभी पांच किमी मोटर मार्ग में डामरीकरण किया जाना शेष है। जिस पर कार्य चल रहा है।
पिछले 25 सालों से अल्मोड़ा व बागेश्वर के बीच की दूरी कम करने की कवायद अब जाकर रंग लाई है। अल्मोड़ा पहुंचने के लिए अभी तक मात्र दो विकल्प थे। वाया ताकुला तथा गरुड़ मोटर मार्ग से होते हुए अल्मोड़ा पहुंचा जा सकता था, लेकिन अब तीसरे विकल्प के रूप में गिरेछीना- सोमेश्वर मोटर मार्ग बनकर तैयार हो गया है।
तीनों मार्गो से अल्मोड़ा की दूरी
वाया ताकुला- 75 किमी
वाया गरुड़- 90 किमी
वाया गिरेछीना- 67 किमी
इन गांवों से गुजरेगी सड़क-
नदीगांव, अमसरकोट, धारी, डोबा, गिरेछीना, भूलगांव, भैसड़गांव व सोमेश्वर।
रंग लाया सड़क के लिए संघर्ष
बागेश्वर: दिवंगत पत्रकार ग्राम बिजोरी निवासी जगमोहन पांडेय ने 90 के दशक में पहली बार अमसरकोट- गिरेछीना को मोटर मार्ग से जोड़ने के लिए संघर्ष की शुरूआत की थी। तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने पहले मात्र पांच किमी मोटर मार्ग की स्वीकृति प्रदान की थी। बाद में चामी, क्वैराली, सात रतबे आदि गांवों ने भी यातायात सुविधा की मांग की। लेकिन चामी क्वैराली सड़क जाने से गिरेछीना व सोमेश्वर को मिलाने का प्रयास अधूरा ही रह गया। पूर्व प्रमुख राजेंद्र टंगड़िया, पूर्व विधायक उमेद सिंह माजिला, पूर्व मंत्री बलवंत सिंह भौर्याल व विधायक चंदन दास ने सड़क को सोमेश्वर मिलाने का प्रयास किया।
डेढ़ लेन का प्रस्ताव शासन में लंबित
बागेश्वर: गिरेछीना- सोमेश्वर मोटर मार्ग के महत्व को समझते हुए प्रशासन ने इसे डेढ़ लेन बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। अल्मोड़ा व हल्द्वानी पहुंचने में हो रही समय की बचत को देखते हुए सरकार भी इस परियोजना में दिलचस्पी दिखा रही है। बागेश्वर के विधायक चंदन दास ने इस बावत शासन में संपर्क साधा है।
वर्जन
अमसरकोट- गिरेछीना- सोमेश्वर मोटर मार्ग बनकर तैयार है। कुछ हिस्से में डामर किया जाना है। इसके बन जाने के बाद सोमेश्वर व अल्मोड़ा की दूरी काफी कम हो जाएगी। लगभग दो घंटे से भी कम समय में अल्मोड़ा पहुंचा जा सकता है। लोगों को काफी राहत मिलेगी। खासकर मरीजों के लिए तो बेहद राहत भरी खबर है।
- इं. आरके पुनेठा, ईई लोनिवि बागेश्वर