क्ये बोला देवों की बराता बाटा लागि गया..
संवाद सहयोगी, चौखुटिया: मां-नंदा उत्तराखंड की एक आराध्य कुल देवी है, जो देवभूमि के कण
संवाद सहयोगी, चौखुटिया: मां-नंदा उत्तराखंड की एक आराध्य कुल देवी है, जो देवभूमि के कण-कण में रची बसी है। पहाड़ में स्थान स्थान पर मां-नंदा को पूजने व ससुराल के लिए विदा करने की अनूठी परंपरा है। यहा जाबर कोटयूड़ा-ताल में चल रहे नंदा देवी पूजन मेले में धार्मिक आस्था का अटूट संगम देखने को मिल रहा है। सातवें दिन बुधवार की शाम को धार्मिक रीति रिवाज से कदली वृक्ष को न्यौता देने की रस्म निभाई गई। सुबह मुख्य ड्योडी टेड़ागांव में नंदा समेत अन्य देव डंगरियों ने दर्शन दिए।
सातवें दिन नौगांव, न्यौनी व पैली समेत अन्य गांवों से आमंत्रित देव डंगरिए दोपहर 12 बजे मुख्य ड्योडी टेड़ागांव पहुंचे, जहां डंगरियों ने देवी आह्वान गीतों के साथ देव दर्शन दिए एवं चारों ओर चावल व जौ उछाल कर लोगों की सुख-समृद्धि की कामना की। देव डंगरियों को दूध व पानी से पवित्र स्नान कराया गया। इस दौरान कत्यूर घाटी से आए जगरियों द्वारा प्रस्तुत देवी आह्वान गीतों ने ऐसा समाबांधा कि श्रद्धालु मां नंदा के भक्तिभाव में डूब गए। बाद में सभी ने भंडारे का प्रसाद ग्रहण किया।
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टेड़ागांव से सजधज कर निकली बरात
शाम को करीब 4 बजे टेड़ागांव से कदली वृक्ष को न्यौता देने के लिए मां को डोला लेकर देव डंगरियों के साथ सजधज कर बरात निकली। इस दौरान क्ये बोला देवों की बारात बाट लागी गया हो झुमू., केली न्यौति ल्योंला ओ देवी.व क्यै बोला चलनै चलनै हो झुमू केली को बगीचा में पहुंचा.जैसे गीतों ने भावविभोर सा कर दिया। बरात पैदल अमस्यारी व गोदी होते हुए बगड़ी गांव पहुंची।
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देर शाम को कदली वृक्ष को पड़ा न्यौता
शाम को बगड़ी गांव में स्थापित ड्योडी में देव डंगरियों का स्वागत हुआ तथा लोगों ने देव गणों का दर्शन कर उनसे आशीर्वाद लिया। सायं 6 बजे मुख्य स्थल से कदली वृक्ष को न्यौते जाने की रस्म निभाई गई। इस दौरान देव डंगरियों ने चावल फैंककर छित्ताड़ के निर्धारित स्थल जमराड़ गांव से कदली वृक्ष को मां नंदा केप्रतीक स्वरूप चुना। देर रात झोड़ा गायन की धूम रही। आज 13 सितंबर को कदली वृक्ष को बगड़ी से विदा किया जाएगा।
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कत्यूर घाटी से पहुंचते हैं नंदा के जगरिए
मां नंदा देवी पूजन मेले की खास परंपरा है किमां नंदा के आह्वान गीतों के लिए बागेश्वर के कत्यूर घाटी से जगरियों की टीम पहुंचती है। जो सात दिनों तक मां नंदा के जागर गीत गाते हैं। इनमें मुख्य जगरिए गोबिंद राम के साथ हेसा राम, पुष्कर राम, दीपक कुमार, रमेश राम, लछम राम व भुवन राम सहयोग कर रहे हैं।